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शिक्षा अंदर ज्ञान

GAJENDRA KUMAR MEENA 30 Mar 2023 कहानियाँ अन्य शिक्षा क्या ज्ञान 34088 0 Hindi :: हिंदी

  प्रथम अंक 
हम उन दिनों की बात करता हु कि जब मै , नारण लाल , कालूराम, जितेद्र सिंह और अरविन्द जैन आदि एक छोटे से विद्यालय में पढ़ने जा रहे होते |
नारायण लाल –  मै आम लाया हु किसको खाने है ? आजाओ (विद्यालय जाते समय आम के पेड़ से आम लाता और सभी छात्र छात्रा को देता एवं सभी खाते और मस्ती करते , विद्यालय के समय पर सर (अध्यापक जी ) आ जाते और प्रार्थना करने की घंटी बजवाते ) |
सर(अध्यापक जी) – अरविन्द प्रार्थना की घंटी बजा दे |
जीतेन्द्र सिंह – सभी आ जाओ लाइन लगो दो , प्रार्थना करते, घंटी बज गई है 
कालूराम और अरविन्द – यह दोनों प्रार्थना आरम्भ करते है और हम सभी बाद में प्रार्थना गाते | बाद में सभी छात्र छात्रा अपनी कक्षा में बेठ जाते है |
सर -  सभी बच्चो को शुभ प्रभात 
बच्चे – सर शुभ प्रभात 
सर – सभी अपनी अपनी लिखने की पुस्तक (कापिया ) निकालो और लिखो जैसे में बोलता हु वैसे लिखो | 
सर- कालूराम तुम क्या कर रहे हो , लिख क्यों नही रहा है |
कालूराम – सर मेरे पास पेन नही और किसीने चुरालिया या कही खो गया 
सर - राजेश तेरे पास दो पेन है , आज कालूराम को दे बाद में वापस ले लेना   पुस्तक में पढ़ते और धीरे धीरे बोल कर लिखवाते और हम सब लिखते रहते थे | बाद में सर हमारी कापिया जाच कर गलती निकलते कोनसे अक्षर और अक्षरों की मात्राओं को सही लिखा है या नही |  सभी अध्यापक सभी विषयों को अच्छी तरह समझाते थे और छोटी कक्षों में भी अच्छा प्रयोग कर पढ़ते थे |
में – नारायणलाल आज सर ने पढाया मजा आ गया और अच्छी तरह से समझा भी दिया |
नारायणलाल – हा , मुझे तो अभी याद है|
कालूराम – अरे मुझे तो बराबर समझ में नही आया है | 
जीतेन्द्र सिंह – किस किस को बराबर समझ नही आया है – फिर हम सब मिलकर जिसको समझ में नही आता उनसे आपस में तर्क वितर्क करते रहते और नही तो सर से फिर पुछते यह समझ नही आया है |
जिस तरह पढाई करते करते अर्द् वार्षिक परीक्षा आ जाती है |
सर – सभी को सूचित करते अर्द वार्षिक का समय आ गया है सब अपना अपना समय सारणी विवरण लिख लो 
हमने अपना परीक्षा का समय विवरण लिख लिया और कालूराम उस दिन नही आया था जिसको नारायणलाल ने उसको सुचना दी घर जा कर और सभी अगले दिन परीक्षा थी | 
कालूराम और नारायणलाल – दोनों हरे चने की पत्तियों की सब्जी बना कर लाते –
 दिसंबर –जनवरी माह में अर्द वार्षिक परीक्षा होती , उस समय चने की फसल हो जाती और परीक्षा दोनों समय एक समय में लिखित और दुसरे समय में मोखित होती इसलिए खाना साथ में लेके जाते |
मै - जब हम तीसरी कक्षा का छात्र थे उस समय हम परीक्षा देने जाते तो बहुत सारी  गलती करते थे कहने का मतलब हम रोल नंबर और अन्य जानकारी सही नही लिखते थे जिसमे एग्जामिनर हमें सही लिखने को कहते थे | हा हम छोटे बच्चे थे तो ऐसी गलती करते रहते क्योकि कुछ तो समझ में भी नही आता था और पर जैसा आता ऐसा लिखते थे , नामाकन क्या चीज है यह मालूम नही रहता था फिर क्या धीरे धीरे समझते गए और सीखते गए , परीक्षा में क्या लिखना और कैसा उत्तर लिखना है कभी कभी कोई प्रश्न समझ में नही आते तो हम छोड़ कर चले आते थे एक प्रश्न पत्र में तो तीन प्रश्नों का उत्तर लिखकर आया तो परिणाम में उसमें बहुत कम अंक मिले और फेल होते होते बच गया पर उस समय जो आता तो वही लिखते थे क्योकि जो अध्यापक पढ़ते थे वही सुनते थे और बहुत दिनों तक याद रहता था जो पढ़ते थे हमें अलग से याद नही करना पड़ता था और मुझे तो आज भी याद है जब परीक्षा के समय परीक्षा में जाके लिखते रहते जैसा हमें याद होता वैसा ही लिखा करते थे ,ऐसा करते करते हम सभी नारायण लाल जीतेन्द्र सिंह कालूराम तथा अन्य मित्र पाचवी कक्षा तक पास कर निकल गए|
मेरे सभी मित्र अलग अलग विद्यालयों में प्रवेश ले लिया जिसमे अरविन्द जैन और नारायण लाल हम तीनो ने एक ही विद्यालयों में प्रवेश लिया | अरविन्द थोडा होशियार छात्र था क्योकि उसके माता पिता पढ़े लिखे थे उसे घर पर शिक्षा का वातावरण पहले से था और में ग्रामीण क्षेत्र था और मेरे माता पिता पढ़े लिखे नही थे तो विद्यालय के वातावरण अनुसार ही शिक्षा मिलती थी |
नारण लाल – हेल्लो अरविन्द कैसा लग रहा है छठवी कक्षा में ....
अरविन्द जैन – अरे क्या बात करे नारायण , मुझे तो थोडा डर लग रहा है और इतना ज्यादा पढना पड़ेगा , पुस्तके के अलावा पासबुक भी पढनी पड़ेगी तो ही पास हो सकते है |
मै – नारण लाल और अरविन्द की बाते ध्यान से सुन रहा था कि बहुत सारे छात्र इस तरह से बात करते यह तो बहुत कठिन है थोडा डर लग जाये ऐसी बाते किया करते और इतना ज्यादा पढना पड़ेगा , पुस्तके के अलावा पासबुक भी पढनी पड़ेगी तो ही पास हो सकते है | हमारे समय तो अंग्रेजी छठवी कक्षा से आरम्भ होती थी ओर मुस्किल हो गया | कुछ दिनों बाद पढ़ना आरम्भ हो गया हर रोज पढने का कार्य भी बढ़ गया और अध्यापक भी आते तो पढ़ा कर चले जाते पूछते भी नही तुम्हे समझ में आया या नही और सारे पासबुक से नक़ल कर के गृहकार्य कर देते थे और याद करने एवं पुस्तकों में उत्तर खोजने , ढुढने का समय नही रहता क्योकि कुछ भी समझ में नही आता | अब क्या लो जी हम भी पासबुक ले आये और पासबुक से सीधी नक़ल करने लग गए और न ही कभी पुस्तक एवं न ही कभी अध्यापक से पूछते की समझ आया है या नही , होता क्या अध्यापक पढ़ाने के बाद हम भी सीधी पासबुक से नक़ल करके के ले आते और न ही कोई याद रहता बस रट्टा मार याद करना ओर मुस्किल होता गया और रटने आलावा समझने में कोई आता नही ,और परीक्षा पास करते थे | करे क्या पासबुक ने ऐसे हालत पैदा कर दिए एक दिन में अरविन्द से पूछा 
मै – अरविन्द यार तुझे तो समझ आ जाता होगा तेरे तो अंक भी अच्छे आये है 
अरविन्द जैन  – नही यार मुझे भी बराबर समझ में नही आता है पर मुझे तो मेरे पिताजी घर पर पढ़ाते है इसलिए थोडा बहुत समझ में आ जाता है और में भी पासबुक से लिख लाता हु और क्या करे उत्तर स्वयं ढूढने में में भी आलसी हो गया हु| दो चार वर्षो बाद जीतेन्द्र सिंह मिला 
मै – हेल्लो जीतेन्द्र कैसे हो ? और बाकि कहा था एवं पढाई कैसी है ?
जीतेन्द्र सिंह – क्या पढाई की बात करते हो मेने तो जैसे तैसे कर दसवी पास कर ली है और मेरे दोस्ते कहता था की बहार से डिग्री मिल जाती है तो में तो बारहवी की डिग्री मागवता हु और मुझे तो पुलिस में भर्ती होना है, तुझे मगवानी है क्या ?
मै – नहीं यार मेरे पास तो पैसे नही है | मेने यही बात अरविन्द को बताई जीतेन्द्र मिला था हमने बहुत सारी बात की और बहार से डिग्री लेन की बात कर रहा था |
अरविन्द जैन – हा यार बहार से बहुत सारे लोग डिग्री लाते है और कुछ लोग तो नोकरिया भी कर रहे , लेकिन यह फिर्जी होती है कभी पकडे गए तो पुरे जीवन पर पानी फेर जाता है ऐसी शिक्षा क्या काम की जो अपनी खुद की न होकर नियमो की विपरीत हो, ऐसे लोगो पे लान्नत है |
कुछ समय बाद परीक्षा आ जाती है जिसमे अध्यापको द्वारा निर्देश दिए जाते है कि अगर कोई भी परीक्षार्थी अपनी उत्तर पुस्तिका को खाली नही छोड़े उत्तर नही आने पर भी कुछ न कुछ लिख कर आना अन्यथा फेल हो जायेगे| जो प्रशन का उत्तर आता हो उसे पहले लिख देना और नही आता है उस बाद में भी कुछ कुछ लिखना है खाली नही छोड़ना है   
मैं – अनुपम अपने आज परीक्षा में उत्तर पुस्तिका में कितने पेज लिखे ?
अनुपम – (कॉलेज का दोस्त ) मेने सोईस २४ पेज लिखे और अपने 
मै – यार मेरे से सिर्फ सत्रह पेज लिखे गए , क्या होगा , मै तो मन ही मन सोचने लगा ऐसा क्या लिखते होगे और लिखने की इतनी रफ़्तार, मै हर दिन लिखने की रफ़्तार बढ़ने की कोशिश कर रहा था जब मेने दुसरे परीक्षा में लिखने गति थोड़ी तीव्र करने पर भी आधा पेज ही बढ़ पाया |
जब परिणाम आया तो अनुपम का परिणाम मेरे से कम था इसका मतलब वह कुछ लिख रहा होगा जो सामने वाले को पढ़ने में समझ भी नहीं आता होगा या फिर मुझसे झूठ बोलता होगा कोई भी कारण हो सकता था | क्या करे बड़ी कक्षों का यह हालत हो जाती है कुछ तो लिखो गलत हो तो भी अंक मिलेंगे ,आज उच्च शिक्षा में अच्छी एक हस्त लेखन से लिखो सुंदर अक्षरों को निर्माण करो और अंक का निर्मार्ण करो 
मै – अनिल जी कैसे हो , आपके आर ए एस परीक्षा का क्या हुआ साहब ?
अनिल कुमार -  मै तो अच्छा हु और आर ए एस परीक्षा में नक़ल होने से परिणाम को रोक रखा है उसमे कुछ लोग जो नक़ल गिरोह को पकड़ा भी गया है इसलिए परीक्षा रद्द भी हो सकती है |
मै – मै सोचता हु कि सरकार के कार्य भी अपने आप सुरक्षित नही है क्या जमाना आ गया है जहा देखो वहा भ्रष्ठसार हो गया 
                        द्वितीयक  अंक 
अब हमारे बच्छो की और ध्यान आकर्षित करते हुए नए इक्सवी सदी की शिक्षा की बात कर रहे है मेरे भाईयो के बच्चे और पडोसी के बच्छो को देखता हु उनका शिक्षा का विकास कैसा हो रहा है | 
मै – अजय कैसा है ? पढाई कैसे चल रही है , 
अजय – (मेरे गाव का लड़का है ) हा अंकल जी में अच्छा हु और आजकल विद्यालय से यु टब और ऑनलाइन अच्छा पढ़ते है इसलिए मेने पिताजी से इन्द्रोड़ मोबाईल मगवाया , इतने में वहा कमलेश नामक लड़का आ जाता है 
मै – कमलेश अरे तू कैसा है ? 
कमलेश – अंकल जी में अच्छा हु , में तो मेरे पिताजी मोबाईल देंगे तो ही विद्यालय जाऊंगा 
मै – अरे क्या बात करता है हम तो चल कर पढ़ने जाते थे पिताजी को इतना तंग मत कर अच्छा नही लगता है अब में सोंच ही रहा था कि लोग इक्सवी सदी में मोबाईल और लैपटॉप पर पढाई करने लग गए है , ये लोग पढाई कम करते है और यह दुसरे फिजूल चीजे देख कर अपना समय बर्बाद कर रहे है मैंने मेरा लड़का को देखा हलाकि बहुत छोटा है करीब तीन वर्ष का जो में मोबाईल में अक्षरों की वर्ण माला निकाल कर देते हु तो वह कुछ देर तक उसी को सीखता है और जैसे ही हम थोडा आगे पीछे होते ही वह दुसरे देखने लग जाता है
श्याम – पापा मुझे वर्ण माला पढ़नी है मोबाईल  दो |
मै – हा देता हु रुक , चलो यह पढो ,श्याम पढता है , कुछ समय के लिए मै किसी अन्य कार्य में व्यस्त हो जाता हु , इतने मेरा ध्यान श्याम की ओर जाता है वह कुछ और ही देखता होगा 
मै – श्याम क्या देख रहा है ?
श्याम – पिताजी में पढ़ रहा हु , हे हे हे , भाग जाता है  
मै – जब इस तरह से देखता हु तो मुझे बहुत आशचार्यजनक हो जाता हु इस टेक्नोलॉजी जगत में शिक्षा का क्या महत्व है सब लोगो को पैसा कमाने की होड़ में शिक्षा को बेचीं या व्यापार किया जा रहा है , शिक्षा का खरीद फरोक कर रहे है और सरकारी तंत्र भी इसमें कही कही मामलो में सामिल होने की वजह से जिससे उसमे उनकुच  लगाने में विफल रहती है मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है , यहाँ हमारा कहने का मतलब है कि  छात्र को समझ का ज्ञान होना चाहिये न की रटने वाला ज्ञान , हर किसी को समझ का ज्ञान होगा वह कभी धोखा नही खा सकता है और में सोचता रहता हु ये कुंजी ज्ञान कैसा है आज पूरी दुनिया में कुंजी ज्ञान ज्यादा हो गया है , इक्सवी सदी में लोग मोबाईल और लैपटॉप पर पढाई करने लग गए है , ये लोग पढाई कम करते है और यह दुसरे फिजूल चीजे देख कर अपना समय बर्बाद कर रहे है  फिर युतुब ज्ञान , ऑनलाइन ज्ञान इन सभी ज्ञान का क्या , अद्जल घगरी जलगद जाये वाली बात हो गयी है  हम कोई ऑनलाइन शिक्षा के खिलाफ नहीं पर जो ज्ञान को दे रहे वह पूरा नही दे रहे है , ऑनलाइन शिक्षा का मतलब कुछ कुछ ज्ञान दिया जाता है तथा इसमें गरीब लोगो का ऑनलाइन शिक्षा का ले पाना मुश्किल होता है  मेरा कहने का मतलब है कि छात्र को कम से कम सीनियर विद्यालय तक तो एक अच्छा समझ का ज्ञान देना चाहिये ताकि उसके जीवन में काफी कुछ बदलाव हो सकता है

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