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कहानी कुछ कहती है

Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Google 66973 0 Hindi :: हिंदी

ज्योति और राजेश की शादीशुदा जीवन अच्छे से बीत रही थी, पर राजेश की मां को ज्योति फूटी आंख नहीं भाती थी। वह बात - बात पे ज्योति को नीचा दिखाने के लिए राजेश के सामने ही अपनी रामकथा लेकर शुरू हो जाती और राजेश के पूछने पर उसकी मां कहती। अरे बेटा! तेरी पत्नी को तो कोई काम न बोलो तो अच्छा है, बोल दो तो उसपे तो जैसे पहाड़ टूट जाता है।फिर भी, ज्योति और राजेश सबकुछ समझते हुए भी अपनी जिंदगी काट रहे थें। कुछ महीने बाद ज्योति की तबीयत बिगड़ती नजर आ रही थी, उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। डॉक्टर के पास जाने से पता चला कि वह प्रेग्नेंट है वे दोनों बहुत खुश थे, पर उसकी सास का तो जैसे कुछ चोरी हो गया था ऐसे मुंह बना रही थी। प्रेग्नेंसी के दौरान भी उसकी सास उससे बहुत काम करा ती और फिर भी राजेश से कहती " तेरी पत्नी तो एकदम ही कामचोर है हम भी तो बच्चे पैदे किए,पर हमने कभी काम से जी नहीं चुराया। उसे तो बस सोने का बहाना चाहिए दिनभर अपने कमरे में पैर पसारे पलंग पर सोई रहती है।"राजेश चुप था वह करता भी क्या? वह अपनी मां के स्वभाव को जानता था इसलिए ज्योति को ही समझाता था।कुछ महीने ऐसे ही बीत गए। ज्योति मां बन गई। बच्चे के आने की खुशी में सब खुश थें। ज्योति की सास भी खुश थी और क्यों न हो आखिर लड़का हुआ था पर उसकी सास को केवल पोते से ही मतलब था ज्योति से नहीं। ज्योति का शरीर मां बनने के बाद बहुत कमजोर हो गया था, पर उसकी सास अपने स्वभाव से टस से मस नहीं हुई थी। राजेश के घर लौटते ही उसकी सास ज्योति को बातें सुनाना शुरू कर देती थी। ज्योति थक चुकी थी अब तो उसके मुंह से भी दो शब्द गुस्से के निकल ही जाते थें। राजेश यह सब देख मानो अंदर ही अंदर परेशान हो रहा था।एक दिन तो हद ही हो गई राजेश की मां ज्योति पे ऊंचे आवाज में जोर -जोर से चिल्ला रही थी। राजेश काम से लौटा तो पूछा क्या बात है मां ! तू इतना क्यों चिल्ला रही  अब उसने ऐसा क्या कर दिया। तब उसकी मां बोलती हैं अरे बेटा! तुझे नहीं पता कि तेरी पत्नी क्या - क्या करती है अब राजेश को थोड़ा गुस्सा आने लगा। उसने कहा क्या -क्या करती है ?अरे बेटा ,तेरे काम पे जाने के बाद मुझे खाना नहीं पूछती अपना खाना लेती और अंदर अपने कमरे में चली जाती। पानी मांगो,तो बच्चे का बहाना करके कमरे में ही रहती। तू ही बता बेटा अब मैं क्या करूं?तब राजेश ने ज्योति से पूछा मां जो बोल रही है क्या सच है ? ज्योति भी गुस्से में बोलती ,अरे सारे काम ख़त्म करके मैं अपने कमरे में थोड़ा -सा आराम करने जाती हूं तो मां जी को समस्या हो जाती हैं जबकि वह जो -जो काम बोलती है मैं कर देती हूं। राजेश अब रोज़ -रोज के किच किच से बहुत परेशान हो चुका था। वह अपनी मां से कहता मां अब तू ही बता हम क्या करें, मां मुंह बनाते हुए कहती, बेटा तू अपनी पत्नी को लेकर अलग हो जा। ठीक है मां जैसी तेरी मर्जी। अगर तू इसमें खुश तो सब खुश। तब उसकी मां बोलती है हां बेटा! वह तो यही चाहती थी जो तूने आज अपने मुंह से कह दिया जा तुझे जहां जाना है। अपनी पत्नी को रानी बनाकर रख। 
      राजेश को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी मां चाहती क्या है ? पर उसे इतना जरूर पता चल गया था कि उसकी मां का बर्ताव ज्योति के प्रति कभी नहीं बदलेगा।ज्योति कुछ भी कर ले पर मां कभी खुश नहीं होगी। इसलिए राजेश अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर घर से निकल जाता है। 
              राजेश अंत में अपने आप से सवाल करता ?
            "आसमां में इतने तारे किसने बनाएं
              जीवन में इतनी समस्या कहां से आएं
              दोनों को गिनों, तो गिनने वाले थक जाएं
              दोनों को सुलझाने जाए,तो सुलझाने वाले ही उलझ जाएं
              कोई मुझे बताएं , कोई मुझे बताएं ?"
   कहानी का अंत हुआ -------------धन्यवाद ।
    

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