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सयानी रात

ASHWANI PANDEY ( ADVOCATE ) 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य सयानी रात 15907 0 Hindi :: हिंदी

😘     एक शयानी रात  😘


इक सिसकती रात बोली, मुझमें क्यूँ काला दाग है
बाहर से ठंढी बहुत हूँ पर, दिल में आग ही आग है

टूटकर बिखरने वाले सदा  मुझमें ही क्यूँ  समाते हैं
कोई  तो  बता  दे  हमें  ये  कैसी  दिल  पर  लाग है

तब मैं बोला, ओ रात काली,तू तो है सबसे निराली
तू हसीन ओ मनचली, तेरे दिल  में है क्यूँ खलबली

दिन है  तपता रेगिस्तान  सदा तन जलाते  रहता है
दामन  पर  तेरे  उसके  छींटे  भी तो पड़ते  रहता है

छोड़ दे भी शिकवे  गिले, मत  तोड़ तू ये  सिलसिले
आशिक़ों  की  बददुआ  को  ले  ली  तू  अपने  गले

तू  जो  जलते  रहती  है तेरा अपना  ही  वो आग है
मन  में  तू  बसा ले "Ashwani" तेरा रात  का जो राग है!

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