Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Hindi, Poetry, Kavita 18919 0 Hindi :: हिंदी
"अरि ओ"...चल संभाले दामन अपना दाग तनिक न लगने पाये कुंठाओं से ग्रस्त मनुष्य तन को तेरे नोच न खाये गड़ी है आँखे आज अगर, तुझपे कुछ यूँ रावण सी तो तू क्यों न सीता बन जाये | चल संभाले दामन अपना दाग तनिक न लगने पाये | | तुझसे से है संसार ये तू नहीं संसार से गूँज रही ये धरती फिर क्यों तेरी चींख़ पुकार से नारी है तू अबला है | इसको अब झूठलाया जाये रक्त पीती "काली" को क्यों ने पुनः बुलाया जाये | चल बचाकर दामन अपना दाग तनिक न लगने पाये |
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