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जीवन पहेली

चंद्र प्रकाश 08 Apr 2023 कविताएँ समाजिक 7193 0 Hindi :: हिंदी

जीवन पहेली -19 
अफसोस मुझे !
दिल  तरसा अपनो को,  अपना ना  पाया,
अनेकों थे  प्रिय मेरे,   प्रेम समझ  ना पाया,
बहुत से  मिलना  चाहते  मुझे,  उनसे   मिल ना पाया,
कई जन  पहली  बार मिले,  दोबारा देख ना  पाया,
कितने ही शुभ – अशुभ अवसरों पर मिले,
अपने अवसर पर,  बुला  ना  पाया II 1 II

अफसोस मुझे !
कई निराले अनुभव मेरे,   शेयर  कर ना  पाया,
कई थी बातें दिल में,  तुमसे  बता ना  पाया,
काफी रहे रोष- अफ़सोस, अकेले झेल ना पाया,
कितनी ही शिकवे – शिकायते थी मुझे,
शिकायत कर ना  पाया II 2 II

अफसोस मुझे !
सरकारी फ़र्ज निभाता रहा, अपना  निभा ना पाया
चलता रहा ले,  दवाई मर्ज की, ठीक हो ना पाया
लड़ता रहा रोग अपने से, रोग बता ना पाया
जीता रहा फ़ोन के युग मे,  फोन किसी को,  कर ना पाया II 3 II

अफसोस मुझे !
जो करना था  मुझे,  वो मैँ कर ना  पाया,
जो लिखना  था मुझे,   वो मैँ लीख ना  पाया,
जो सीखना  था मुझे,  वो  मैँ सीख ना  पाया,
जो जोड़ना था मुझे, वो तोड़,  मैं जोड़ ना  पाया,
जो  देखा था   सपना, वो साकार  कर ना पाया,
सी ० पी ० फंसा संसार जाल मे,   मिलना था प्र भु -हरी से,
भजन  कर ना पाया II 4 II

       चंद्र प्रकाश @ सेठी

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