Rupesh Singh Lostom 22 Jun 2023 कविताएँ समाजिक सिर्फ अपना ही राज्य होगा 5786 0 Hindi :: हिंदी
एक दिन आश्मान पे अपना ही कब्ज़ा होगा लहरों पे भी गूंजेगा अपना ही नाम अपना ही सल्तनत होगा जहा में बस थोड़ा और तराशना हैं अपना हुनर देखना एक दिन अपना भी मोल होगा बाजार में अपना भी सिक्का चारो ओर होगा आज बिकाऊ हूँ खरीद ले मुझे अगर खरीद सके कल मेरा मोल लगा सके जहा में कहा किसी के औकात होगा आज बेदाम हूँ बे नाम हु आसानी से बिक जाऊंगा कल का क्या आशमा पे भी सायद अपना ही राज्य होगा