Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य बचपन के दिन 102932 4 4.5 Hindi :: हिंदी
बचपन के दिन जब हम छोटे थे तब खोटे थे पर दिल के बिलकुल सच्चे थे नटखट थे शैतान चोटे थे पर सच बताऊ बो दिन बडे अच्छे थे बाग मे जा के आम चुराना भाई बहन को खूब चीढाना दोस्तो के संग तलाब मे छलांग पे छलांग लगाना जब हम छोटे थे तब खोटे थे पर दिल के बिलकुल सच्चे थे किताब देख नींद आती थी पेंसील देख के डर जाते थे पर फिर भी हम बडे श्याने थे खुले आखों से सपने देखना कल्पनाओ के उडान मे उडना बिन सर पैर के बातें करना जब हम छोटे थे तब खोटे थे पर दिल के बिलकुल सच्चे थे न कोई दुश्मन न कोई दोस्त सब अपने से लगते थे आज भी जब जब याद आते बो सुनहरे बचपन के दिन सच कहु तो भूल जाता हूँ अपने आपको खुद को फिर काश कुछ ऐसा हो जाता फिर से बही लड़कपन मिल जाता जब हम छोटे थे तब खोटे थे पर दिल के बिलकुल सच्चे थे
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