राकेश 16 Jun 2023 कविताएँ समाजिक शक, शक है कष्ट, 5850 0 Hindi :: हिंदी
जिसने किया शक, उसने स्वयं लिया कष्ट, अपने साथ दूसरे की भी तंदुरुस्त बुद्धि की भ्रष्ट। शक उसको लगता है सच, शक में फंसने का स्वयं करता है जो प्रयत्न, शक्की करता है अपना सब कुछ खुद खत्म, शक है बीमारी, खत्म कर देगी दुनिया को शक की महामारी।