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मेरी स्मृति

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख दुःखद मैं और मेरी स्मृति 30592 0 Hindi :: हिंदी

हाय मैं आज अंतिम सांसे गिन रहा हूं, मैं सब कुछ  भूलता जा रहा हूं, मेरी आंखों के सामने ही😪 मेरे सब यादें  मिटती जा रही है, मैं बहुत ही निराश हूं, मेरी  आशाएं तृप्त नहीं हो रही, मेरी  इच्छाएं मिट नहीं रही,- लेकिन धीरे-धीरे, सभी का नाश होते जा रहा है, मृत्यु भी कैसी चीज है, इस पीड़ा को मैं कैसे बताऊं, जो मरता है वही सिर्फ एहसास कर सकता है, हां जिंदगी बहुत ही अनमोल है,, इस जीवन को मिटाने के लिए, मृत्यु या होना आवश्यक है,, मैं मृत्यु के  चरम सीमा पर हूं,  और मुझे पीड़ा हो रही है, जब जब मुझे, मृत्यु का दर्द होता है, तब तब मैं मां शब्द कहकर😪 किसी नन्हे बच्चे की तरह रोता हूं, जैसे मैं जब छोटा था,  मुझे चोट लग जाती थी,  मां मां कहकर  रोता था, और मां बेचैन हो जाती थी, वह तुरंत मेरा उपचार करता, जैसे मेरा दर्द कम हो जाता,, यकीन मानो, दवा तो बाद में काम आता, पहले मां को ही देखकर, मेरा आधा दर्द कम हो जाता, और आज भी ऐसा लग रहा है, जैसे मां शब्द में, मेरी मां मेरे लिए, एक दवा छोड़कर गई है, एक ममता छोड़कर गई है, जो मुझे मृत्यु के दर्द से, निजात दिला रहा है, हां मां शब्द, मेरी  स्मृति का सेंटर पॉइंट है, जिसे कोई मिटा नहीं सकता, वाणी की उत्पत्ति, तो मां शब्द से ही हुई है,, उसी से मैंने तो  बोलना सीखा है, और मैं उसी से,  उसी से शरीर को धारण भी किया है,, बोले तो मैं मां से उत्पन्न हुआ, और मेरी ममता, मां शब्द में सिमट गई😪 मेरी जिंदगी, मैं जैसे सब बातों को भूलता जा रहा हूं, लेकिन मां शब्द, अभी भी मेरी यादों की, अंतिम पल में भी, जान बनकर, सिमटी हुई है, जिसे मिटाते- मिटाते, ऐसे हजार मृत्यु, क्यों ना हो जाए, उसे मिटा नहीं सकता, जब मैं मां शब्द कहता हूं,  तब मेरा मन, शांत हो जाता है,  और आत्मा, व्याकुल नहीं  रहती, जैसे गंगा की पानी, जब तक गंगा में नहीं मिल जाता, वह शांत नहीं होता, वह स्वतंत्र नहीं होता, जैसे गंगा में मिलती है_  वह स्वतंत्र हो जाता है_ और उसमें कोई व्याकुलता नहीं रहते, मैं मां शब्द में, अपना दर्द का, सिमट रहा हूं, मैं खुद   को उसी में, सिमट रहा हूं, मैं मां शब्द का, व्याख्या नहीं दे सकता, अगर मैं सिर्फ मां शब्द का ही, उल्लेख  कर दिया जाए तो, मेरी उम्र_ काफी नहीं होगी, मैं अपनी मां को, शत शत प्रणाम करता हूं_ मां शब्द एक बहते हुए ममता, की नदियां है, और हम सब, पानी की एक बूंद, वह मां मेरे लिए, मेरे दर्द में, दुखी होती थी, रोती थी, उसने मेरे दर्द को, खुद में सहन कर लिया, हां वह  मां थी,, जिसे हमने कितनी बार,  आघात  पहुंचाया, फिर भी वह सत्य, सत्य ही रहा, हां मां शब्द, मैं और मेरी  स्मृति है,

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