Shubham Kumar 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद मां की लोरियां 35308 0 Hindi :: हिंदी
जब मैं छोटा था तब मेरी मां, मुझे नींद नहीं आती, तब मुझे यह लोरी, गाकर सुनाती थी_ चंदा मामा दूर के पूरी पकावे भीड़ के. अपने खाए थाली में, मुन्ना के देवे प्याली में. प्याली गया टूट, मुन्ना गया रूट, अब ने जावे मामा के दुवरिया, टप टप गिरते लोर,_ यह हमारे लिए कितनी मासूम विचार होते थे_ मैं सच सच कहता हूं, यह मेरे मन में घर कर जाता था, मैं सोचता था कि सच में मेरा मामा, चंदा मामा है, उन्होंने पूरी पकाए थे, अपने थाली में खाए थे_ और हमको प्याली में दिए थे_ प्याली तो टूटना ही था_ वह टूट गया_ उन्होंने हमको_ थाली में क्यों नहीं दिया_ कुछ इस प्रकार के मासूम विचार_ हमारे अंदर चल रहे थे_ इस लोरी से_ मन को सुकून मिलता था_ मैं सच कहता हूं, मेरा दिल इस बात को सुन, मैं रोने लगता था, मेरी मां मुझे थपथपाते हुए सुला देती थी_ फिर मेरी मां कहती थी जब मुझे नींद नहीं आती थी_ [तो यह लोरी सुनाती ] आवे रे फूदुक चिरैया, फूदुक धान फोकले जो रे तोरे खोतवा में, आग लगलो, बबुआ के, निंदिया आजो रे, मत पूछो, मां के शब्दों में, इतने मिठास होती थी, ऐसा लगता था, जैसे सच में= कोई चिड़िया¶ मेरे लिए नींद , लेकर आ रही है😪😪😪 बदले में मेरे धान खाकर जाएगी, कुछ ऐसे सुंदर विचार हमारे मन में चलता था,, मां की लोरी से मिठास, हमने आज तक_ कोई संगीत नहीं सुनी है_ उन में दर्द होता था_ वह लोरियां हमें प्रभावित, करती थी_ आज तो लोग_ अपने बच्चों के पास_ म्यूजिक और खिलौने देखकर, परोस कर_ अपने बच्चे को छोड़ देते हैं_ वह मां की लोरियां सुनते हुए_ हमारे मन में कितने सुंदर विचार_ बनते थे_ मां की लोरी हमारी_ सुंदर सपने, को सजाने का कार्य करती थी_ वह लोरी हमारी चेतना को जगाती ,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...