मोती लाल साहु 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक जीव चौरासी लाख योनि में भटकता है, नाना दु:ख और कष्ट को कर्म फल के रूप में भोक्ता है। प्रभु की अति कृपा जब होती है, तब मानव तन प्राप्त होता है। और सद् गुरु की कृपा से जीवन मुक्ति का भेद प्राप्त होता है। बिन गुरु के ज्ञान नहीं होता। 90107 0 Hindi :: हिंदी
बात है- अगम की कहूंगा अगम, चलना है भवनिद्ध पार। करके हुजूर का दरबार, यात्री हैं हम हर जीव यहां।। योनि लाख चौरासी का, पल-पल,तिल तिल। दु:खों-कष्टों का पहाड़, झेलते -झेलते।। ईश्वर की अति कृपा से, मानव तन प्राप्त हुआ है। यह तन मोक्ष प्राप्ति का, साधन है पर अज्ञान।। रूपी मोह-माया के, चक्रव्यू में हम उलझ। गए हैं जीवन मुक्ति का, भेद सद् गुरु चरण में है।। गु-नाम अंधकार! रू-नाम प्रकाश! गुरु का परख शिष्य, से होता है जो गुरु हमें। अंधकार से प्रकाश! में ले आए।। अर्थात- अज्ञान से ज्ञान में! निज स्वरूप का ज्ञान!! मोती-