Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य मुझे चाहिये तू 20355 0 Hindi :: हिंदी
मुझे चाहिये तू और तेरा साथ रात की जागती आँखे और उलझे सवाल बिखरते सपने सिमटते ख्वाब और डुबे भाव और टुटते ऎहसास मुझे चाहिये तू और तेरी आज प्रस्त हौसला और बिगड़ते हालात बुझती लौ और बदलता समाज नीर बहाती नयन और टुटती सांस मुझे चाहिये तू और तेरी हर अंदाज मुझे चाहिये सूरज और एक मुठ्ठी आश्मान थोड़ा सा थोड़ा सा चंदा ओश के दो कतरा और शुभ प्रभात सातरंग से बना सतरंगी और चुटकी भर पाताल मुझे चाहिये तू और जीवन भर के साथ