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घर के चश्मोंचिराग

Mukesh Namdev 18 May 2023 कविताएँ दुःखद 4637 0 Hindi :: हिंदी

"अस्पताल"
"अजीब-सी रात है,ये अस्पताल की कहीं खुशियों का महौल तो,कहीं अजीब-सी शांति है,तो कहीं गमगीन हैं आँखें,तो कहीं सिसकने की आवाज है,इस शोर गुल में कहीं से आवाज आती है,कुछ तो करो कैसे भी करो,बस बचा लो इन्हें,यही तो मेरे घर के चश्मोंचिराग है"
                                #Mukesh Namdev

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