संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6478 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद चाहत अभी जवान है,गौरव मय है भाल। साँस साँस में हौसला,भारत का हूं लाल।। भारत का हूं लाल,शत्रु पर भाड़ी पड़ता। वैसे हूं दिलदार,करूं कभी न मैं जड़ता।। कहते कवि संदीप,सदा देता हूं राहत। चाहूं नम्र सम्मान,हृदय की है ये चाहत।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....