महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक 82520 0 Hindi :: हिंदी
"अपशगुन" पप्पू जो अभी-अभी मैट्रिक की पढ़ाई कर रहा था पढ़ाई में तो जरा सा कमजोर था लेकिन धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर पूरा पूरा विश्वास रखता था मेहनत से ज्यादा अपने भाग्य पर भरोसा करता था हमेशा स्कूल जाने से पहले पूजा करना नहीं भूलता था ऐसा इसलिए भी, क्योंकि उसके परिवार में मां बहुत धार्मिक स्वभाव की थी, खेलकूद में तो पप्पू कभी-कभी ही भाग लेता था किंतु नाच गाने का भी शौक रखता था, हां सुबह-सुबह अखबार पढ़ना उसकी आदत में शामिल था, किंतु वह केवल राशिफल वाला ही राशिफल वाला ही कॉलम पड़ता था, ऐसा इसलिए क्योंकि वह अपनी राशि देखकर ही अपनी दिनचर्या शुरू करता था और जिस दिन अच्छा नहीं होता था वह घर पर ही रहता था अब पप्पू की मैट्रिक की परीक्षा का समय आ गया और पप्पू और भी ज्यादा धार्मिक होने लगा, जिसमें बड़ों के पैर छूना, मंदिरों में घंटी बजाना और पीपल के नीचे दिया जलाना उसके लिए आम हो गया था किंतु कभी-कभी तो आसमान में टूटते तारों को देख कर मन्नत मांगते हुए भी देखा जा सकता था l पूरा वर्ष समाप्ति की ओर था पप्पू की परीक्षा तिथि भी घोषित हो चुकी थी और पप्पू भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार पढ़ाई में जुट गया, अब वह दिन भी आ गया जब पप्पू की परीक्षा होनी थी, सुबह-सुबह पप्पू नहा धोकर स्कूल के लिए तैयार हो ही रहा था, कि किसी ने अचानक सामने से छींक दिया और पप्पू तो ठहरा अंधविश्वासी जिससे उसके मन में एक निराशा सी होने लगी l पप्पू इस घटना को संयोग मानते हुए स्कूल के लिए चलने लगा, जैसे ही घर के आंगन को पार ही किया था, कि एक काली बिल्ली ने पप्पू का रास्ता काट दिया अब तो पप्पू के ऊपर बिजली सी गिर गई क्योंकि अभी घर से निकला भी नहीं था कि अपशगुन पर अपशगुन होते जा रहे थे पप्पू दिल से तो यह सब कुछ स्वीकार कर रहा था किंतु मजबूरी थी कि परीक्षा देने जाना था तभी पप्पू ने खुद को संभालते हुए सड़क की ओर चलना शुरू किया जहां से स्कूल तक जाने वाली गाड़ी मिलती थी, पप्पू अंदर ही अंदर टूट चुका था किंतु हार नहीं मानी और गाड़ी के स्टेशन पर पहुंच गया किंतु दुर्भाग्य से उस दिन गाड़ी बहुत देर से पहुंची जिसमें पप्पू बेचारा कर भी क्या सकता था l अब परीक्षा शुरू होने में कुछ ही मिनट का समय शेष था और जैसे-तैसे पप्पू अपने स्कूल के गेट के सामने पहुंच चुका था और मन ही मन सोच रहा था कि अपशगुन वाली बात कुछ नहीं होती है व्यर्थ ही लोग इन सब पर विश्वास करते हैं, मुझे देखो दो-दो अपशगुन होने पर भी परीक्षा शुरू होने से पहले ही स्कूल पहुंच चुका हूं जबकि मेरे पास अभी 10 मिनट का समय शेष है और यह सब कुछ सोचता हुआ पप्पू उत्सुकता पूर्वक स्कूल के अंदर जाने लगा तभी स्कूल गेट पर खड़े गेटकीपर ने उसे रोक लिया और कहा- 'पप्पू आप अपना प्रवेश पत्र दिखाइए', पप्पू प्रवेश पत्र देने के लिए अपनी जेब में हाथ डालता है और चौंकते हुए कहता है:- सर मेरा प्रवेश पत्र घर पर ही छूट गया है, तभी गेटकीपर कड़े स्वर में कहता है:- कि बिना प्रवेश पत्र के आप स्कूल में दाखिल नहीं हो सकते जाओ प्रवेश पत्र लेकर आओ तभी परीक्षा में बैठ पाओगे ! किंतु पप्पू के पास अब इतना समय नहीं था, कि वह वापस घर जाकर प्रवेश पत्र ला सकें, तभी पप्पू ने गेटकीपर से बहुत विनती की किंतु कोई लाभ नहीं हुआ और आखिर पप्पू वापस अपने घर को चलने लगा तथा सोचने लगा कि - "हो ना हो यह सब मेरे साथ आज सुबह हुए अपशगुन का ही परिणाम है || धन्यवाद लेखक:- महेश्वर उनियाल "उत्तराखंडी"