Ashwani Kumar Singh 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक इस कहानी में गरीब मां उसके दो बच्चे हैं और एक शीशा है 29879 0 Hindi :: हिंदी
चंपारण गांव में ममता की एक छोटीसी स्त्री की दुकान थी| वह गांव के लोगों के कपड़े स्त्री किया करती थी और उससे जो भी कमाई होती वह उससे अपने बच्चे की पढ़ाई लिखाई और घर के खर्चे में लगाती थी राजू और चुटकी के पिता के देहांत के बाद ममता कोई घर के सारे काम करने पड़ते थे ममता घर जाकर लोगों के कपड़े स्त्री करने लगती है इधर राजू और चुटकी स्कूल से घर वापस आ रहे होते है तभी राजू छुटकी से बोलता है यार कि हमें लगता है कि हमें भी मां के कामों में हाथ बटाना चाहिए हां हमारी मम्मी कितना काम करती है हमें भी हम उनका हाथ बटाना चाहिए ठीक है हम भी घर जाकर मम्मी के कामों में हाथ बताएंगे राजू और चुटकी तभी बात करते-करते घर पहुंच जाते हैं। तभी वह देखते हैं की मम्मी ममता के दोनों हाथों पर पट्टी बंधी है बच्चे मम्मी को इस हालत में देखकर घबरा जाते हैं तभी राजू और चुटकी बोलते हैं यह आपके हाथों में क्या हो गया है आपके हाथों में पट्टी क्यों बंधी है तब ममता बोलती है आज जल्दी-जल्दी स्त्री करने में मेरा हाथ जल गया तभी राजू बोलता है मम्मी आप चिंता मत कीजिए आज से मैं सारे कपड़े इस्त्री किया करूंगा तभी छुटकी बोलती है और मैं खाना बना दिया करूंगी तब ममता बोलती है मेरी वैसे मेरे बच्चों को काम करना पड़ेगा यह मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा। तभी राजू बोलता है आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए हम सब संभाल लेंगे। तभी गेट पर पड़ोस में रहने वाली मुरारी चाचा आ जाते हैं और मुरारी चाचा बोलते हैं मेरे कपड़े इस्त्री हुए कि नहीं हुए तब राजू बोलता है अभी कर देता हूं चाचा और राजू फटाफट कपड़ों को इस्त्री करने लग जाता है तभी गलती से वह कप में जल जाते हैं तब मुरारी चाचा बोलते हैं अरे नालायक जब कोई काम ठीक से करने नहीं आता तो क्यों करता है? मेरा 2000 का कुर्ता जला दिया अब मैं दावत में क्या पहन कर जाऊंगा तभी राजू बोलता है माफ करिएगा चाचा गलती से आपका कुर्ता जल गया तब मुरारी चाचा बोलते हैं तुम्हारी माफी का मैं क्या करूं तुमने तो मेरा कुर्ता बर्बाद कर दिया तभी राजीव बोलता है आप चिंता मत करिए चाचा मैं इसे ठीक कर दूंगा तभी मुरारी चाचा बोलते हैं अगर शाम तक यह कुर्ता मुझे ठीक-ठाक नहीं मिला तो मैं पूरे ₹2000 लूंगा। मुरारी चाचा यह बात कह कर वहां से चले जाते हैं और राजू और चुटकी उदास हो जाते हैं, तभी तभी छुटकी बोलती है उनकी बातों का बुरा मत मानना चलो मैं तुम्हारे लिए गरमा गरम रोटी बना देती हूं, तभी राजू बोलता है उनकी बातों से ही पेट भर गया अब मैं इस जले हुए कुर्ते को किस तरह ठीक करूं हमारे पास तो ₹2000 भी नहीं है छुटकी रोटी के लिए आटा तैयार करने लग जाती है तभी आटे में बहुत ज्यादा पानी गिर जाता है और वह बोलती है हे भगवान यह क्या हो गया क्या आज हमें रोटी तक नसीब नहीं होगी घर में इतना ही आता था? यह काकड़ छुटकी जोर जोर से रोने लगती है, तभी उसके कमरे में लगे हुए शीशे से तेज रोशनी निकलती है और वह रोशनी गीले आटे पर पड़ती है और आटा बिल्कुल सही साना जा चुका है छुटकी या देख कर हैरान हो जाती है और वह शीशा ले जाकर राजू को दिखाती है जो मुरारी चाचा के कुर्ते को ठीक करने में लगा था तभी छुटकी बोलती है राजू यह देख इस कुर्तेसे तेज रोशनी निकली और गीला आटा बिल्कुल सही हो गया। तभी राजू बोलता है यह कैसे हो सकता है तब छुटकी बोलती है मैं बिल्कुल सही कह रही हूं रुक मैं तुझे अभी इस कुर्ते को सही करके दिखाती हूं और वह शीशे को कुर्ते के बिल्कुल सामने रख देती है थोड़ी ही देर में पीछे से तेज रोशनी निकलती है और वह कुर्ता बिल्कुल ही सही हो जाता है यह देखकर दोनों बच्चे हैरान हो जाते हैं तभी राजू बोलता है मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता अचानक से शीशे में जादुई शक्ति कहां से आ गई तभी छुटकी ने बोला मैं शीशे के सामने बैठ कर रो रही थी तभी शीशे से रोशनी निकली और गीला आटा सही हो गया तभी राजू और चुटकी उस सीसे को लेकर ममता के पास जाते हैं और ममता के सामने रख देते हैं तभी शीशे से तेज रोशनी निकलती है और ममता के यहां से ठीक हो जाती है तभी मुरारी चाचा अपना कुर्ता लेने आ जाते हैं और बोलते हैं मेरा कुर्ता सही हुआ या नहीं नहीं हुआ तो मैं तुमसे ₹2000 लूंगा तभी राजू बोलता है यह लीजिए अपना कुर्ता बिल्कुल पहले की तरह ठीक हो गया है मुरारी चाचा या देखकर हैरान हो जाते हैं और वहां से जाने लगते हैं तभी छुटकी ममता को चमत्कारी शीशे के बारे में बताती है तभी ममता बोलती है यह किसी से कम नहीं है हमें किसी चमत्कार का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए हमें शीशे को तोड़ कर नदी में फेंक आएंगे ताकि कोई इसका गलत इस्तेमाल ना करें अभी राजू बोलता है लेकिन मम्मी यह सोचो हम इससे दूसरों की मदद कर कितना पैसा कमा सकते हैं तभी छुटकी बोलती है हमारी सारी तकलीफें दूर हो जाएंगी तभी ममता बोलती है हमें अपने मेहनत पर विश्वास करना चाहिए ऐसे शॉर्टकट से कमाए गए पैसे हमें विनाश की तरफ ले जाते हैं तभी मुरारी चाचा खिड़की से यह सारी बातें सुन रहे थे और उन्होंने सोचा कि आज रात में शीशे को चुरा लूंगा और इससे महंगे दाम भेजूंगा इससे मुझे बहुत पैसे मिलेंगे मुरारी चाचा चुपके से रात में घर आकर उस सीसे को चुरा कर अपने घर ले जाते हैं और बोलते हैं मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरे पास जादुई सीसा है मैं किसी भी खराब चीज के सामने रखूंगा और वह पहले जैसे ठीक हो जाएगी मुरारी चाचा उस शीशे को अपने घर के सामने रखकर एकदम चमचमाती नया बना देते हैं और खुद भी उसके सामने खड़े हो जाते हैं और शीशे से रोशनी निकलती है और वह बिल्कुल जवान बन जाते हैं अगले दिन राजू और चुटकी उसी से को अपने घर पर नहीं पाते हैं तो घबरा जाते हैं तभी राजू बोलता है जादुई शीशा कहां गया लगता है उसे किसी ने चुरा लिया तभी छुटकी बोलती है लेकिन उसके बारे में तो किसी को पता भी नहीं था फिर कोई उसे कैसे चुरा सकता है तभी दोनों की नजर मुरारी चाचा के चमचमाते घर पर जाती है तब दोनों समझ जाते हैं कि वह शीशा मुरारी चाचा नहीं चुराया है तब राजू बोलता है मुरारी चाचा अपने लालच में उसी से का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं हमें उन्हें रोकना होगा तभी चुटकी बोलती है हां तुम सही बोल रहे हो राजू और चुटकी मुरारी चाचा के घर जाते हैं तो देखते हैं कि मुरारी चाचा उसी से को गाड़ी में लेकर बेचने जा रहे हैं तभी राजू बोलता है हमें मुरारी चाचा को उसी से को बेचने से रोकना होगा तभी राजू अपने जेब से गुलेल निकालता है और शीशे पर मारता है पत्थर लगने से शीशा टूट जाता है और मुरारी चाचा वापस बूढ़े हो जाते हैं और उनका घर भी पहले जैसा ही टूटा फूटा हो जाता है और मुरारी चाचा बोलते हैं अरे यह तुम दोनों ने क्या किया तुम दोनों ने मुझे बर्बाद कर दिया । तभी राजू बोलता है तुम जादुई शीशे का इस्तेमाल कर कर गलत काम कर रहे थे । तभी छुटकी ने बोला इसीलिए तुम्हें सजा मिलना जरूरी था। और मुरारी चाचा बोलते हैं हाय राम मैं तो लुट गया बर्बाद हो गया तभी राजू और चुटकी घर आ जाते हैं और राजू बोलता है जादुई शीशे के टूटने की वजह से उसका सारा जादू खत्म हो जाएगा यानी कि हमारी मम्मी का हाथ भी पहले जैसा ही हो जाएगा तभी वहां ममता जाती है उसका बिल्कुल भी ठीक था तो ममता बोलती है मुरारी चाचा को उनके गलती की सजा मिल गई तुम दोनों ने उस शीशे का सही इस्तेमाल किया था इसलिए उस शीशे का जादू नहीं किया और सभी खुशी-खुशी रहने लगे और मेहनत करके जीने लगे। Ashwani Kumar Singh