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चिंगारी जलाये रखो

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य चिंगारी जलाये रखो 7789 0 Hindi :: हिंदी

कुछ भी हो मुस्कुराते रहो 
हालत अच्छे हो या बुरे 
खुद को आजमाते रहो 
बक्त के साथ साथ 
बदल जायेगा बक्त भी 
बस समय समय पे 
खुद को खुद से मिलाते रहो 
कठिन से कठिन रस्ते भी 
हो जायेंगे मुमकिन 
बस अपने हौशले में 
उड़न बनाये रखो 
बक्त बे बक्त आजमाएगा बक्त 
लेकिन बक्त को अपने 
जिन्दा होने का 
एहसाश दिलाते रहो 
एक दिन बक्त का बक्त भी 
बुरा जरूर आएगा 
तब तक अपने सिने में 
चिंगारी जलाये रखो

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