Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

लघुकथा- सुखी कौन

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Short Story 7772 0 Hindi :: हिंदी

	दीपावली के अवसर पर बनवारीलाल अपने घर के ड्राईंग रूम को सजाते हुए सोच रहा था, ‘‘क्या है उसके पास? न ढंग के सोफे, न अच्छी कुर्सियां, न आलमारियां और न ही बढ़िया घर; जिसे सजाकर गर्व महसूस किया जा सके।’’

	घर सजाते-सजाते उसे याद आया, ‘‘कल जब चढ्डा साहब के बंगला गया था, तब उनके शानदार ड्राईंग रूम को देखकर चकरा गया था। बेशकीमती सोफे। उनके चमकदार कव्हर। चढ्डा साहब व उनकी बाबकट बीवी की आदमकद तस्वीरें। ड्राईंग रूम के बीचोंबीच चमचमाता व लहराता झूमर। दीवार रैक में बच्चों के सैकड़ांे खिलौने। एक कोने में राधा-कृष्ण व एक कोने में सीयाराम की खूबसूरत मूर्तियां। बीच में फूलसाइज का कलर टेलीविजन।-उनके ड्राईंग रूम की सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे।’’

	बनवारीलाल के जेहन में चढ्डा साहब के ड्राईंग रूम की इतनी ही तस्वीर उभरी थी कि उनके बेटे और बेटियां सरकारी स्कूल से छुट्टी होने पर दौड़ते हुए आए।

बस्ता करीने से रख ‘पप्पा-पप्पा’ कहते हुए उनसे लिपट गए। बनवारीलाल ने उन्हें उठाकर अपने अंक में भर लिया। 

बच्चों ने उन्हें ढेर सारी पप्पियां दीं और दीवाली की छुट्टी होने का ऐलान कर दिया।

	ये बच्चे यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपने ‘पप्पा’ को घोड़ा बनने के लिए कहा, जो वे अक्सर बना करते थे। 

वे इसी तरह बच्चों के साथ खेला करते थे। आज भी वे उनके साथ मस्तमौला हो गए और अपनी पीड़ा भूल गए।

तभी उन्हें ख्याल आया कि चढ्डा साहब के एक भी बच्चे नहीं हैं; वरना उनकी आदमकद तस्वीर बिन बच्चों की नहीं रहती। 

रैक के खिलौने बाहर निकले हुए व अस्त-व्यस्त रहते। उन्हें खेलने, बिखराने व तोड़नेवाला कोई नहीं है।
 
वह घोड़ा भी बन जाए, तो सवार कहां से लाए। उफ! वैसी खामोशी से तो यह किलकारी भली!
		--00--

अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar  dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
		--00--
निवेदन है कि लेखक की अन्य रचनाओं का अध्ययन करने और उसको प्रोत्साहन देने के लिए ‘‘गूगल प्ले स्टोर’’ से ‘‘प्रतिलिपि एप’’ डाउनलोड कर ‘‘वीरेंद्र देवांगन’’ के नाम से सर्च किया जा सकता है और लेखक की रचनाओं का आनंद उठाया जा सकता है।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

लड़का: शुक्र है भगवान का इस दिन का तो मे कब से इंतजार कर रहा था। लड़की : तो अब मे जाऊ? लड़का : नही बिल्कुल नही। लड़की : क्या तुम मुझस read more >>
Join Us: