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मेरी मां की गोद

Shubham Kumar 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद मेरी मां की गोद 34185 0 Hindi :: हिंदी

जब मैं छोटा था,  मेरे पांव कितने मासूम थे, पर मैं चलना सीखता था, कभी गिरता था कभी संभलता था, और जब थक जाता था, तब मां के आंचल में, छिप जाता था, कभी-कभी मैं अपनी मां की आंचल पकड़कर_ सारे घर का चक्कर लगाता था, और मेरी मां मुझे चलने की खुशी में, मुझे चुम्मा देता मुझे प्यार करता, मैं कितना खुश होता था, मुझसे ज्यादा खुशी, मेरी मां को होती थी, कि  उसका बेटा चलने लगा है,( अब जब बड़ा हो गया तो) इतना दूर चला आया) की मां का आंचल भी हमसे दूर हो गया) अब मैं थक जाता हूं, तो मैं किसी का सहारा पाकर चल नहीं सकता, एक नाकामयाब बन जाता हूं, बचपन में मां का दामन मिलता था! आज जो लोग गिरे  जाते हैं, उन्हें लोग उठाते भी नहीं, अब जब चलना सीखा है तो, इतना दूर चला आया, के अपनी मां को भी भूल चुका, कभी मां की गोद में, हमने सपने देखे थे_ जब उस सपने को सच करने निकला, तो मां हमारे पास कहां,, सपने मेरे मेरे सामने पड़े हैं, पर मां की गोद कहां_ थक गया हूं चलते चलते, मां के जैसा प्यार करने वाला, वह लोग कहां, कभी ठोकरे लगती है तो दुख होता है दर्द भी होता है_ तब मेरे मुंह से_ मां शब्द ही क्यों निकलता है_ क्या ऐसा नहीं लगता , कि मेरी मां ने मुझको नहीं छोड़ा, हमने अपनी मां को छोड़ा है, अब नहीं चलना है मुझे इतना, अब मुझे लौट आना है, फिर से मां की गोद में, मुझे सो जाना है, मैं चैन से सोना चाहता हूं,  वह नींद सिर्फ मां की गोद, में रहकर मिलती है, कितना दिनों से, सच कहता हूं, मैंने वैसी नींद  नहीं ले पाया, जैसे मां की गोद  से मिलता था, मां की गोद से निकलकर  वह बेटा, ऐसा  दौड़ा है, उसको लौटने में, सारी उम्र लग गई,

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