MOHAN SINGH GOLA 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Motivational story, Motivational story in Hindi 89136 0 Hindi :: हिंदी
: रात का समय था. चारों ओर घुप्प अंधेरा छाया हुआ था. केवल एक ही कमरा प्रकाशित था. वहाँ चार मोमबत्तियाँ जल रही थी. चारों मोमबत्तियाँ एकांत देख आपस में बातें करने लगी. पहली मोमबत्ती बोली, “मैं शांति हूँ. जब मैं इस दुनिया को देखती हूँ, तो बहुत दु:खी होती हूँ. चारों ओर आपा-धापी, लूट-खसोट और हिंसा का बोलबाला है. ऐसे में यहाँ रहना बहुत मुश्किल है. मैं अब यहाँ और नहीं रह सकती.” इतना कहकर मोमबत्ती बुझ गई. दूसरी मोमबत्ती भी अपने मन की बात कहने लगी, “मैं विश्वास हूँ. मुझे लगता है कि झूठ, धोखा, फरेब, बेईमानी मेरा वजूद ख़त्म करते जा रहे हैं. ये जगह अब मेरे लायक नहीं रही. मैं भी जा रही हूँ.” इतना कहकर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई. तीसरी मोमबत्ती भी दु:खी थी. वह बोली, “मैं प्रेम हूँ. मैं हर किसी के लिए हर पल जल सकती हूँ. लेकिन अब किसी के पास मेरे लिए वक़्त नहीं बचा. स्वार्थ और नफरत का भाव मेरा स्थान लेता जा रहा है. लोगों के मन में अपनों के प्रति भी प्रेम-भावना नहीं बची. अब ये सहना मेरे बस की बात नहीं. मेरे लिए जाना ही ठीक होगा.” कहकर तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गई.