AJAY ANAND 26 Jun 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत गुस्ताख़ मोहब्बत, रोमांस, रोमांटिक, प्रेम, प्यार, इश्क, धोखा, जिस्म का भूख , भूत आत्मा, डर, पवित्रता, नारी , स्त्री का दर्द, अबला स्त्री, 7638 0 Hindi :: हिंदी
गुस्ताख़ मोहब्बत ( भाग- 001) __________ यह कहानी वास्तविकता को छूती हुई एक काल्पनिक कहानी है। जो महज एक लेखक के दिमाग में उपजे हुए बीज से उत्पन्न हुआ है। एक छोटी कहानी जो निरन्तर जारी रही और एक लम्बी श्रृंखला में जंजीर की तरह बढ़ती चली गई। जो कितने ही भागों में गुजरते हुए पाठकों के समक्ष पेश होने के अलावा मनोरंजन और पढ़ने के उत्साह में बढ़ोतरी ही इस कहानी को एक उपन्यास में तब्दील कर दिया। पहला प्यार कोई नहीं भुलता,यह हमेशा एहसास कराने की कोशिश करता रहता है कि मैंने भी कभी किसी से प्यार किया था और वो प्यार के साथ - साथ रोमांस भी हो तो भुलाने से भी आप भुला नहीं पाएंगे। ऐसी ही प्रेम कहानी की दास्तान जो जीवन पर्यंत याद रहा। जो अमर प्रेम में तब्दील हो गया.........। हम जो करने जा रहे हैं वो सही है या गलत,खुद निर्णय लेने में असमर्थ महसूस करते हैं। प्यार के रास्ते पर चलने वाले लोगों को आने वाले भविष्य का आभास नहीं होता, अच्छाई और बुराई में फर्क करना नहीं आता। उसके लिए वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। वो पराई औरत जिसे मैं मुनिया भाभी कहा करता था। साधारण सी दिखने वाली वो, गरीबों में पली बढ़ी। उसे अपने पति से सच्चा प्यार कभी नहीं मिला। जो एक शादीशुदा स्त्री अपने पति से उम्मीद रखती है। एक बे - साहारा औरत जिसे कभी पति से प्यार नहीं मिला जिसके लिए वो उम्र भर तरसती रही। शुरूआत के समय में, मैं उसे जानता भी नहीं था। परिवार वालों के कहने पर मुझे मालूम हुआ कि वह भाभी लगती है। मुनिया भाभी मेरे जीवन का अहम अंग बन चुकी थी। जब से वह मेरी जीवन में आई। शरीर का वो अहम हिस्सा जो अगर खराब हो जाए तो आदमी बेबस और लाचार हो जाता है। ठीक उसी तरह मेरी भी लाचारी हो गई थी। उसकी गैरमौजूदगी में मैंने एक-एक पल तन्हाई में गुजारी है। उसी के ख्यालों में खोए रहना और बेबुनियाद सपने देखना, मानों मेरी रोज रोज की नियति बन गई हो। समय के साथ मैंने इंसानों को बदलते देखा है। लेकिन मैं उसकी बात कर रहा हूं जो आज भी वैसी ही है, जैसे वर्षों पहले हुआ करती थी। वो प्यार........। बीते लम्हों के साथ बहुत कुछ बदल जाता है, मैंने अपने आसपास रह रहे उन नामचीन हस्तियों को देखा है, जो वक्त के साथ अपने आप को बदलने में ही अपनी काविलीयत समझते हैं । मेरी उम्र उस समय १५ की रही होगी, जब मैं अपने नाना के घर से आया था। ऐसे तो मेरा पूरा बचपन ननिहाल में ही बीता। वहां के ही रीति रिवाज और संस्कृति को अपनाकर मेरा बाल्यकाल यौवन अवस्था पर आ पहुंचा। मेरे नाना का घर छोटे से गांव में है जहां मेरा परवरिश हुआ। स्कूल की पढ़ाई पूरी करके मैं अपने घर आ गया था। यहां पर दादा दादी के रहते हुए भी अकेलापन महसूस हो रहा था क्योंकि मेरे जो साथी, संगी , दोस्त थे। वो सब वहीं छूट गए थे। जगह और जमीन ज्यादा रहने के बावजूद भी मैं खेतों में काम करने के लिए नहीं जाता था। यह सारी जिम्मेदारी मेरे पिता अपने कंधों पर उठा रखे थे। ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होने के बावजूद भी मेरे पिता बहुत ही समझदार थे खेती करने के हर एक पहलू को बारीकी से समझते थे इसीलिए मेरा घर हमेशा अनाजों से भरा हुआ रहता था। यहीं पर मेरी मुलाकात पड़ोस वाली भाभी से हुई। जो मेरे जीवन का उबाऊ पन, उसे देख कर दूर होने लगा। जिंदगी में कुछ खुशियां और शगुन मिलने की उम्मीद जगी। उसके पति अक्सर पैसे कमाने के लिए दुसरे शहर जाया करते थे और ४-५ महीने बाद घर वापस आते। इसी बीच हम दोनों के नैन - मटक्के आपस में लड़ गए। उसकी गोरी जैसी खुबसूरत चेहरे, पतली कमर और मटकाती चाल थी तो बहुत ही कमाल की। उसकी जितनी भी तारीफ करूं बहुत ही कम है। जब वह मेरे पास से गुजरती तो मेरे शरीर में करंट की लहर दौड़ने लगती। मेरे दिल में समुद्र की लहरों की तरह उफान मारने लगता । ये मेरा सच मानना है या मेरे नज़रों का धोखा है, ये मुझे नहीं मालूम , पर मैं इतना जरूर जानता हूं कि प्यार अंधा होता है जिसमें कुछ भी वास्तविकता नहीं दिखाई देता। क्रमशः आगे......????