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पेड़ पौधे की सेवा

Uma mittal 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक सामाजिक कहानी 28690 0 Hindi :: हिंदी

रामबाबू रेलवे में बड़े बाबू के नाम से मशहूर थे | वे काफी सीधे साधे और सरल व्यक्ति थे | सारी उम्र मेहनत करते करते अब उनका रिटायर होने का समय आ गया था |अब तो 6 महीने बाद रिटायर होकर वे चाहते थे कि अपने पुश्तैनी घर माता पिता के पास चले जाएं |अब उनके माता-पिता की उम्र भी काफी हो गई थी | अब उनकी सेवा में रहना ही उचित होगा और अब तो राम बाबू का लड़का और लड़की दोनों की शिक्षा पूरी हो चुकी थी |रामबाबू अपने माता पिता के पास सिर्फ छुट्टी होने पर ही जा पाते थे |अब रामबाबू को यह 6 महीने बिताने भी काफी मुश्किल लगने लगे थे ,तभी एक दिन उनके मन में न जाने क्या आया ,अपने क्वार्टर की तरफ निहारते हुए सोचने लगे हमेशा काफी लंबा चौड़ा घर के साथ-साथ खाली जगह मिलने पर भी उन्होंने इसका उपयोग क्यों नहीं किया ?बस ऐसा ख्याल आते ही उन्होंने घर के साथ मिली जगह के लिए बाढ़ लगवाने वाले को बुला लिया | बाड़ लगाने का खर्च 1200  में तय हुआ | जब पत्नी को पता चला तो वह चिल्लाने लगी “सारी उम्र तो इस तरफ ख्याल गया नहीं, अब क्या जरूरत है”|पर रामबाबू ने बात अनसुनी कर दी |देखते ही देखते माली आया और तरह-तरह के पौधे अमरूद ,नींबू ,केला, पपीता ,गुलाब आदि लगा कर चला गया |पत्नी ने देखा तो अपना माथा पीट लिया |”कम से कम इतनी अकल तो हो कि 6 महीने वाली सब्जी ही उगा लेते हैं |अब जब हम सब ने यह क्वार्टर छोड़ना ही है ,तो यह फल का हमें क्या फायदा ? सारी जगह का सत्यानाश कर दिया और माली पर भी कितना पैसा फूंक दिया “|पर रामबाबू चुप थे |बेटी ने कहा “जो इस क्वार्टर में रहेगा वही खाएगा और क्या “| पर रामबाबू उन पौधों का खूब ध्यान रखते |धीरे-धीरे सभी पेड़ हरे भरे हो गए |पर फल आने से पहले ही रामबाबू का रिटायरमेंट हो गया और वह अपने माता-पिता के घर आ गए | एक साल बीत गया |अभी उन्हें अपने पेंशन के कुछ कागज लेने बाकी थे, जिसे लेने वह फिर उस शहर में गए |अब उस क्वार्टर में दूसरे बड़े बाबू आ चुके थे ,जिनका नाम हरिप्रसाद था और उन्होंने राम बाबू को चाय पर बुलाया |रामबाबू अपने पौधे देखने के लोभ को रोक नहीं पाए |उनका एक सहयोगी भी उनके साथ चल दिया |चाय के बीच बातों ही बातों में हरिप्रसाद रामबाबू से बोले” आपने तो कोई फल चखा भी नहीं “|तब रामबाबू ने हंसते हुए कहा “हां ,मेरी बेटी कह रही थी कि यह फल तो वही खा सकता है जो अब इस क्वार्टर में रहेगा “|तभी हरिप्रसाद का बेटा बड़े थैले में ढेर सारा फल तोड़कर ले आया |” आप इसे अपने घर ले जाएं, फल काफी मीठा है ”  |अभी रामबाबू कुछ कहते इससे पहले हरिप्रसाद बोले “आप जैसा सज्जन आदमी हमने नहीं देखा”| यह कहते हुए उन्होंने वह थैला रामबाबू को पकड़ा दिया | जान-पहचान इतनी हुई कि रामबाबू भी उनको अपने घर आने का निमंत्रण देकर अपने घर आ गए | कुछ दिन बाद वही दोस्ती रिश्तेदारी में बदल गई अर्थात हरिप्रसाद जी ने अपने पढ़े-लिखे इंजीनियर बेटे के लिए रामबाबू की बेटी का हाथ मांगा और खुशी खुशी रामबाबू की बेटी का विवाह हरिप्रसाद के घर हो गया | “सचमुच पेड़ पौधों की सेवा कभी बेकार नहीं जाती ” रामबाबू की पत्नी कह रही थी |
उमा मित्तल
राजपुरा टाउन( पंजाब)





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