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सभ्य कौन

Santosh kumar koli ' अकेला' 06 May 2024 कहानियाँ समाजिक सभ्य कौन 496 0 Hindi :: हिंदी

मैं रोज़ की तरह ऑफिस से घर आते समय सब्जी़वाले बाबा के पास जो कि खुद के खेत से सब्जी़ लाकर बेचता था, रुका। 
मैं बाइक के स्टैंड लगाकर एवं एक पैर ज़मीन पर टिका बाइक पर बैठा छीड़ होने के इंतजा़र में मोबाइल से अनायास ही छेड़छाड़ कर रहा था। 
अचानक एक कार स्पीड़ से आकर रुकी जिसने सभी का ध्यान आकर्षित कर लिया। उसमें से एक व्यक्ति नीचे उतरा पोशाक, नाज़ नख़रे व बोलने की सफा़ई से वह सभ्य-सा प्रतीत हो रहा था, आंखें नचाकर सब्जि़यों का मुआयना  करके नुक्ताचीनी की खा़नदानी परंपरा निभाते हुए मोलभाव करने लगा। सब्जी़वाले ने ₹20 किलो का भाव बताया काफी़ बहस के बाद वह ₹18 प्रति किलो में सौदा करने में सफल रहा, फिर एक-एक पीस की ऑडिट करने के बाद अपने मुजर्रब हुनर को काम में लेते हुए लगभग 2 किलो सब्जी़ भर लिया, "एक -दो पीस और डालो, क्या सोना ही तोलोगे?"का जुमला दोहराकर उधार
की हंसी हंसते हुए तुलाने का दुर्लभ कार्य नक्की किया हालांकि इस दरमियान वह दो-तीन पीस चबा चुका था, अब भी उसके मुंह से चबर- चबर की आवाज़ आ रही थी। 
अंत में ₹1 छुट्टा नहीं कहकर ₹35 देकर सब्जी़वाले की बात को नज़रअंदाज कर विजयी मुद्रा में चलता बना। सब्जी़वाला अलमस्त अपने काम में व्यस्त रहा। उसी दौरान एक साधारण -सा दिखने वाला व्यक्ति बाइक से उतरा, सब्जि़यों पर सरसरी नज़र घुमाया, भाव पूछा, ₹15 प्रति किलो के हिसाब से 2 किलो सब्जी़ तुलवाकर 20-20 रुपए के दो सिलवटी नोट दे दिया। सब्जी़वाले ने ₹5 का सिक्का तथा शेष छुट्टे सिक्के दूसरे ग्राहक से बात करते-करते दे दिए। 
वह व्यक्ति सिक्के गिनकर ₹1 लौटाते हुए "ज्यादा आ गया" कहकर बिना एहसान किए चला गया। वह एक रुपया मेरे दिमाग़ में एक सवाल छोड़ गया कि सभ्य कौन? 
शिक्षा-: किसान अपनी मेहनत से सब्जी़ पैदा कर बेचता है उसके पास व्यक्ति एक-एक, दो-दो रुपए के लिए जि़द, बहस करता है तथा माॅल, शाॅरूम में वह कितना ठगा गया, का कोई हिसाब नहीं।

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