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सच्ची कहानी इत्फाक

Uma mittal 30 Mar 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत सच्ची कहानी 28771 0 Hindi :: हिंदी

जुगल एक अमीर लड़का था |उसके पैसो में बराबरी का आसपास कोई ना था |उसके पास कई खेत ,दुकान और हवेलिया थी ,उसके घर मेंउसके माता पिता और वह तीन लोग ही थे |उसके रहने का अंदाज किसी राजा की तरह ही था |कालेज के दोस्त ,नौकर चाकर सभी उसकीइज्जत करते थे |
एक दिन उसने अपने कालेज की बहुत ही सूंदर लड़की देखी ,इतनी सूंदर लड़की उसने कभी नहीं देखी थी ,उस को  यह भी पता लगा कि वहमारवाड़ी घर से है जिस का नाम शीलू था   |बस फिर क्या था, उसने अपने माता पिता से बात कर ली और पंडित को शीलू के घर भेज दिया |लड़की वालो ने जब सुना की अग्रवाल साहब के घर से शादी का पैगाम है तो लड़की की माँ ने जब पुछा की दहेज में वह क्या लेंगे तो पंडित जी नेकहा कि उन्हें दहेज नहीं चाहिए आपकी लड़की उन्हें पसंद आ गयी है | बस फिर क्या था, पूरे घर  में ख़ुशी कि लहर छा गई |बस थोड़ी  मिठाईऔर फल का आदान प्रदान कर के रिश्ता पक्का हो गया |अब शीलू और उसके परिवार को जुगल बाबू अपनी गाड़ी में बिठा कर घुमा लाते |शादी दशेरा से एक दिन पहले नवमी को होना तय हुआ |
जुगल बाबू शीलू के लिए नए नए गहने बनवाते कभी  हीरो का ,कभी मोती का सेट बनवाते |शीलू देख कर यह भाव विभोर हो जाती ,देखने मेंभी जुगल बाबू काफी हैंडसम थे ,पर पुराने ख्यालात होने के कारण शीलू जब भी घूमने जाती अपने परिवार के साथ ही जाती |
उन ही दिनों नवरात्री पर मथुरा से राम लीला वाले उनके गांव में आये | शीलू  रोज रात को राम लीला देखने जाती |  राम कि छवि इतनीमोहक होती जिस का नाम श्याम था , सब भाव विभोर हो जाते और लोग अपने अपने घर पर पुरी राम लीला मण्डली को अपने अपने घर खानेपर बुलाते और राम बने श्याम को कृष्ण भगवन कि वेश भूषा में आने के लिए विनती करते |उनकी मोहक छवि ऐसी लगती कि मानो सचमुचही श्री कृष्ण जी धरती पर आ गए हो |उनकी आँखे ,बाल,मुस्कुराते होठ ,बस जनता गदगद हो जाती |शीलू भी उस कृष्ण कि छवि पर मरमिटी और जुगल बाबू से उसके साथ एक फोटो खिचवा लू , जिद्द करने लगी | पहले तो जुगल बाबू हँसे पर फिर मण्डली के पास इस लिए चलेगए ,जब मण्डली वालो ने मना किया तो जुगल ने मोटी नोटों कि गड्डी दे कर शीलू की फोटो करवा दी | फिर दूसरे दिन शीलू ने उनके साथस्टेज पर एक भजन गाया | इससे जुगल बाबू शीलू की अदाकारी पर बहुत प्रभावित हुए |
जब शीलू की माँ को पता लगा तो  बोली कि” अब राम लीला देकने मत जा ,शादी के चार दिन बचे है ,ऐसे में लड़किया बाहर नहीं निकलती “|पर शीलू जुगल बाबू और अपनी भाभी को मना ही लेती है | सोचती है कि ‘आज सीता स्वयम्बर है ,बस आज राम लीला देख लू ‘|
जब राम लीला में पहुंचती है इत्फाक से मण्डली में कुछ परेशानी दिखती है , शीलू तो पहले ही मण्डली वालो से हिल मिल चुकी थी ,पूछने पर पता लगा कि सीता बनने  वाला लड़का  काफी बीमार है और कोई सूंदर पतला दुबला लड़का उनके पास नहीं है ,अब जयमाला कैसी होगी,शादी कैसे होगी |  शीलू  ने कहा कि” मैं यह रोल कर सकती हूँ ,इसमें कोई संवाद भी नहीं है” | जनता काफी आ चुकी थी ,कुछ सोचते समझतेइस से पहले ही जुगल बाबू भी तैयार हो गए | शीलू ने जय माला और घूँघट कि औंट में शादी के फेरे ले लिए |जब घर आयी तो घर वालो ने उसेखूब डांटा |सब ने सोचा बात आयी गयी ख़तम हो गयी ,पर शीलू कहने लगी “अब तो मैं श्याम की हो ली , उस से मेरी शादी हो गयी है” |
जब मण्डली वालो को पता चला कि शीलू की तीन दिन बाद शादी थी ,और वह श्याम के लिए जिद्द कर रही है तो वह जुगल बाबू के डर से रातोरात भाग गए |
जुगल और शीलू के घर में रिश्तेदार आने लगे थे और सभी रिश्ते दार शीलू को समझा के थक चुके थे ,पर शीलू अपनी श्याम के साथ की फोटोदेख देख कर पागल हुई जा रही थी | सब ने उसे समझाया कि वह नाटक था  पर शीलू कहने लगी “यह संसार भी तो नाटक है “|
सारी शादी की तैयारी धरी की धरी रह गयी शीलू  गा रही थी ————–
हे री ,मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय |
सूली ऊपर सेज हमारी किस विधि मिलना होय ||
 उमा मित्तल ‘
राजपुरा ,पंजाब

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