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लघुकथा- मर्द

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक short story 33999 0 Hindi :: हिंदी

	‘‘यार, कैसे मर्द हो, जो दारू तक नहीं पीते! क्या अपनी बीवी से डरते हो?’’ सहकर्मी ने बीयर बार में प्रवेश की ओर निगाह डालते हुए तानेकशी किया।

	‘‘इसमें बीवी से डरने की क्या बात है? मुझे वह किसी काम के लिए मना नहीं करती; क्योंकि वह जानती है कि मैं कोई गलत काम नहीं करता और न ही करूंगा।’’ प्रवेश ने रुष्ट होते हुए जवाब दिया।

	‘‘फिर नेक काम में देरी क्यों? आओ गम गलत करते हैं! दिनभर काम करके दिमाग पस्त हो गया है।’’ सहकर्मी ने प्रवेश को फिर उकसाया।
 
इस बार प्रवेश तुनककर बोला, ‘‘यह गलतफहमी है तुम्हारी। दारू पीने से गम गलत नहीं होता, बल्कि बढ़ जाता है। सेहत व दौलत नष्ट होता है, सो अलग। दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।’’

	‘‘अ...बे जा, बड़ा आया है सेहत, दौलत और दिमागवाला। मरेगा तो सब साथ लेकर जाएगा। साथियों के साथ पीएगा, तो यह घट जाएगा।’’ दूसरे साथी ने हिकारत की नजर से देखते हुए कटाक्ष किया।

	अब तक बीयर बार में वे सभी साथी इकठ्ठे हो गए थे, जो कार्यालय के सहकर्मी थे।
 
वे आफिस के बाद रोज यहां मिलते थे। बार में बैठते थे। पीते थे। बतियाते थे। गाते, गुनगुनाते थे। हा-हा, ही-ही करते थे। आपबीती सुनाते थे। फिर अपने-अपने घर की ओर लौट जाते थे। 

सभी ने प्रवेश को अपने खेमे में करने का भरसक प्रयास किया। पर, वह टस से मस नहीं हुआ। 

उसने साफ तौर पर सबको समझाते हुए कहा,‘‘मैं अपनी मर्जी से नहीं पीता। मेरा मानना है कि इससे कोई लाभ नहीं होता। इज्जत धूल में मिलती है। परिवार पर बुरा असर पड़ता है, जो बाद में दिखता है। इसलिए मैंने निश्चय किया है कि अपने बीवी-बच्चों व परिवार की खातिर इसे हाथ नहीं लगाऊंगा। अब, आपलोग भला मानें या बुरा। इसकी मुझे परवाह नहीं है।’’

वह वहां से उठा और जाने लगा, तो साथियों ने उसका हाथ खींचकर बिठा दिया। 

एक ने कहा,‘‘नहीं पीता, तो न सही; पर हमारे साथ बैठ तो सकता है।’’

इसपर वह बोला, ‘‘ऐसे बैठने में कोई मर्दानगी नहीं है। मर्द तो वह है, जो ऐसी जगहों से दूर रहता है। एक बार बैठ गया, तो संगत का रंगत चढ़ने में देर नहीं लगती, इसलिए तौबा! आपलोगों को मुबारक हो ऐसी मर्दानगी!’’
 
...और वह हाथ जोड़ता हुआ वहां से चलता बना।         
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
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