Anshika Agrawal 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम देशभक्ति कविता, राष्ट्रभक्ति कविता, देश के लिये कविता, मेरा भारत, मेरा देश, 16961 0 Hindi :: हिंदी
ऐ देश मेरे तुझे नमन दूजा न देश कोई तुझ सा महान, बहती गोद में जिसके हर पल गंगा यमुना की धार। कण-कण में यहां भगवान् बसा है, धरती ने इसकी वेद - पुराण रचा है। नालंदा तक्षशिला हुए विख्यात विद्या के मंदिर दो, संस्कारों की इस भूमि में; विवेकानंद का ज्ञान पाया, बापू ने अहिंसा का पाठ पढ़ाया । ह्रदय में यहां गगन सी विराटता है, तो विचारो में है समंदर की गहराई। दादी - नानी की कहानियों से यहां बचपन सजा है, दादा नाना का ऐनक - डंडा खेल बना है, फुफ्फा - फुफ्फी का दुलार मिला है, संयुक्त परिवार का प्यार भला है , रिश्तों में अपनेपन का एहसास घुला है। धर्मों में न है लड़ाई,हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, रहते मिलजुल, भाई - भाई । जुबां में बंगाल के रसोगुल्लो का स्वाद बसा है, गुजरात में गरबे - डांडियों का जश्न मना है। फागुन का रंग उड़ा है,दीवाली का दीप जला है, खुशियों का मेला लगा है, जन - जन में राम बसा है। माटी में इसके वीरों का शौर्य रमा है। लेकर जन्म इस देश में , हुई धन्य बारंबार। ऐ देश मेरे तुझे नमन । ऐ देश मेरे तुझे नमन ।। - अंशिका अग्रवाल