आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #मुक्तक #क़तआत #शिकार #हिंदी कविता #दवायफ़ #ज़िन्दगी #तुम्हारी याद आती है #शेर #मोर #मेरे पापा #mere papa #davayaf #zism #raat #shayar #रात #नियम #आकाश अगम #कागज़ #चाँद #zindgi #थपेड़े #कर्तव्य #रागिनी # 50088 0 Hindi :: हिंदी
राह में जो मिले कहूँ उससे मैं तुझे ही तो प्यार करता हूँ जो किसी के शिकार बन बैठे मैं उन्हीं का शिकार करता हूँ।। जब दया ख़त्म हो मेरे भीतर मैं ग़रीबी उधार लेता हूँ कौन मेरी है जानने के लिए हाथ सब पर ही मार लेता हूँ।। मोर हूँ नाचता नहीं लेकिन दर्द तो है कहा नहीं लेकिन फल निकल आ गए फली मेहनत मैं उसी दिन रहा नहीं लेकिन।। शायरों को फिर और क्या दिखता दर्द का आसमां नहीं होता अश्क़ बहने का क्या बहाना दूँ हर जगह तो धुआँ नहीं होता।। हृदय के द्वार करके बन्द हमको कर पराया न जाने क्या मिला इतना अहं चढ़ने लगा है मैं कितना भी घुमाऊँ वो समझ लेता है कविता वो स्टेटस भी मेरा अब ध्यान से पढ़ने लगा है।। तुम जो गयीं सब छोड़ भागे और वो भी चलती बनी तुम आ गयीं उसको भी आना है शरम को याद हो माना कि मजबूरी तुम्हारी थी मग़र मेरी ख़ता फिर से न हों वो ग़लतियाँ इतना 'अगम' को याद हो।। सबके दिलों पर राज कर अपनी नज़र में गिर गए पिटते हुए कहते रहे पिटना नहीं आता हमें उसने हज़ारों दोष हम पर मढ़ दिए इक साँस में इतना हमारा दोष था लड़ना नहीं आता हमें।।