कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम 84329 0 Hindi :: हिंदी
जहर घोलती ,दुनिया ,।काटने को है ,रास्ता,। दाव,पर है ,पैर,।मगर कटने नहीं दुंगी,। कर्तव्य पथ पर ,कर्म है,पूजा,। जहाँ,हो ,देश ,की हो बात,। सर,हटने नहीं ,दुंगी,। सरहद, की सीमा तक ,रोज ,जा ,पहुंचती ,इक कविता,। तिरंगे ,से बिना ,मुलाकात,। मैं,कागज को फटने नहीं दुंगी,। कलम ,और मेरी रोज इक ही बाजी है,। शीर्ष ,पर देश लिखे ,बिना ,मैं ,अधुरी ,सांस अटकने नहीं दुंगी,।। कविता पेटशाली
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