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मातृभूमि का प्रेम

Gopal krishna shukla 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #india#country 9033 0 Hindi :: हिंदी

मैं ना धुंध हूँ ना राख हूँ, 
जिंदगी है मौत से मैं मौत के ही पास हूँ ll
राज से द्रोह है , 
और दंश से मोह है , 
कंटको के बीच हूँ मैं
कंटको का लोभ है ll
वह पग मेरा  निरर्थ कंटको पर,
जिसमें धाक हो छुब्ध सी l
पर्याय लुप्त मौत वह, 
जो मौत है अमर नहीं ll
यह भूमि है स्थूल मेरा, मैं इसके अंधड़ो मे श्वास लूँ, 
जिंदगी है मौत से मैं मौत के ही पास हूँ ll
                                  
                           गोपाल कृष्ण शुक्ला

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