Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मैं तो चलना चाहता था उनके साथ

VIVEK KUMAR PANDEY 25 Jun 2023 कविताएँ दुःखद अधूरे ख़्वाब, आधे -अधूरे, 6776 0 Hindi :: हिंदी

तब क्या होगा?
ये सोचा मैंने सोचा बार-बार।
मैं तो चलना चाहता था उनके साथ,
पर शायद.....
उनको ही मिल गए आशियाने कई।
जिसमे सजाएंगे वो अपना संसार
मेरी पहुंच के पार।
मगर.....
मैं तब भी था उनके साथ
और हमेशा रहूंगा भी।
उनको ही मिल गए राही नए,
बदल गई उनकी मंजिले,
पर मैं अभी भी खड़ा हूं वहीं
जहां से छोड़ कर गए थे वो।
और उसी मोड़ पर खड़ा रहकर
करता रहूंगा एक अंतहीन इंतजार।।
मेरी पहुंच के बहुत पार।।
बस तुम्हारा...

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: