आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #नज़्म #प्यार #प्यार में मजबूरी #दास्ताँ -ए-दिल-ओ-मुहब्बत #मुश्किल #बज़्म-ए-ख़्वाब #शब-ए-महफ़िल #रंग 52117 0 Hindi :: हिंदी
साथ रहता हूँ, बात करता हूँ तेरी गलियों से मैं गुज़रता हूँ मुश्किलों से है यूँ बहुत दूरी फिर भी कोई है मेरी मजबूरी मैं तुम्हें प्यार कर नहीं सकता। मैं भले जान तक लुटा दूँ पर क्या हवा हो सकेगी सिर्फ़ मेरी मैं भ्रमर बनके इसमें मर जाऊँ क्या न तोड़ेगा कोई और कली तुमको उपमाएँ ये सभी दीं थीं इससे इनकार कर नहीं सकता मैं तुम्हें प्यार कर नहीं सकता। इक तरफ़ तुम हो वो हैं एक तरफ़ डोर है जिसके बीच मैं हूँ बँधा एक को भी न छोड़ पाऊँगा हर घड़ी सिर्फ़ चोट खाऊँगा तुमसे बेइंतिहा मुहब्बत है सच ये स्वीकार कर नहीं सकता मैं तुम्हें प्यार कर नहीं सकता। तुमको आना है तुम चलीं आना फ़िक्र मत करना, राह देखूँगा बेख़बर रख के सँग तुम्हारे मैं एक बेनाम खेल खेलूँगा क्या है, क्यों है बता के तुम जैसे फूल को ख़ार कर नहीं सकता मैं तुम्हें प्यार कर नहीं सकता। उस तरफ़ आँख बज़्म-ए-ख़्वाब मग़र इस तरफ नम के सिवा कुछ भी नहीं उस तरफ़ प्यार , रँग , शब-ए-महफ़िल इस तरफ़ ग़म के सिवा कुछ भी नहीं नाव लेकर तो घूमता हूँ मग़र तुमको इस पार कर नहीं सकता मैं तुम्हें प्यार कर नहीं सकता। जो तुम्हारा दिखाए अक्स नहीं अश्क़ स्वीकार कर नहीं सकता मैं तुम्हें प्यार कर नहीं सकता।