VIVEK KUMAR PANDEY 13 Feb 2024 कविताएँ दुःखद 7068 1 5 Hindi :: हिंदी
आज फिर दिखाई दिया मुझे, एक टूटा हुआ तारा। एक बार फिर आज मैं, अपने आप से हारा। सोंचा था कुछ नही मांगूंगा इस बार। पर मन मचल गया आदतन। इस बार मांग बहुत छोटी थी। हे ईश्वर___ हो सके तो किसी बच्चे के मायूस सोमालियाई चेहरे पर रोप दो एक प्यारी सी मोनालिसाई मुस्कान।। ☺️☺️☺️☺️☺️☺️
2 months ago