Santosh kumar koli ' अकेला' 03 Apr 2024 कविताएँ समाजिक मौसमी मेंढक 1599 0 Hindi :: हिंदी
मौसमी मेंढक, करते टर्र -टर्र। तनापाई पानी में, सर्र सर्र। पानी, ज़मीं दोनों कांपे, थर -थर। खुद, दूसरे बेचैन, सुन चर- चर। गया मौसम, वही शीत निष्क्रियता। लोग थूके, कैसी सक्रियता? मैं ही मैं, भूले वरीयता। कोई नहीं पूछेगा, कहेंगे धत् प्यार जता। मौसम, बेमौसम छोड़ो, रहो सदाबहार। रात काली की काली, चांदनी दिन चार। टर्र -टर्र कर मर जाओगे, मरोगे टांग पसार। हर का रहा न घर का, गया व्यर्थ शेख़ी बघार।