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निखर गया हूँ किया जबसे प्यार इक तरफ़ा

आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #नज़्म #प्यार #प्यार में मजबूरी #दास्ताँ -ए-दिल-ओ-मुहब्बत #मुश्किल #बज़्म-ए-ख़्वाब #शब-ए-महफ़िल #रंग #गिटार #Akash Agam #Akash Chauhan #आकाश अगम #आकाश चौहान 40560 0 Hindi :: हिंदी

निखर गया हूँ किया जबसे प्यार इक तरफ़ा।

वो ज़िन्दगी जो न रंगों की जानती थी महक
जो रख सकी न तअल्लुक़ कभी सितारों से
वो रोज़ रंग भरे ख़्वाब देखा करती थी
मिला न तू तो कटी रात तारे गिन गिन के
मुझे तो ढोलको तबले की ताल मिल न सकी
मेरा तो बजता रहा था गिटार इक तरफ़ा
निखर गया हूँ किया जबसे प्यार इक तरफ़ा।

अगर तू मिल गया होता तो बात और ही थी
न मिल सका तू तभी मैंने इनसे बात करी
उतार स्याही दी मैंने, कलम की जान गई
जो कॉपियों में जगह थी वो तार तार करी
घड़ी जो मैंने ख़रीदी थी इक तेरी ख़ातिर
वो मेरे पास है उसका भी प्यार इक तरफ़ा
निखर गया हूँ किया जबसे प्यार इक तरफ़ा।

न प्यार मिल सका तुझसे हूँ मुतमइन फिर भी
तेरी वज़ह से सही चाँद की इज्ज़त तो करी
निज़ाम तोड़ के दुनिया का, उसको अपनाया
जो रात आयी तो दुनिया ने नींद पूरी करी
नहीं मेरी ये है ख़्वाहिश कि तू भी सोचे यही
ये हर तरफ़ से मेरा है विचार इक तरफ़ा
निखर गया हूँ किया जबसे प्यार इक तरफ़ा।

कभी कभी तो मुझे हाँ हुई ग़लतफ़हमी
कि दर्दे दुनिया मेरे दर्द की ही ज़द में है
फिरेक शक़्स मिला जिसने सच दिया बतला
कि रोना और भी मुझको , ये दर्द हद में है
मैं आशिक़ों से रहा कह सुनो तो उसकी भी
यूँ रोज़ रोज़ करो मत शिकार इक तरफ़ा
निखर गया हूँ किया जबसे प्यार इक तरफ़ा।

                     

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