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फूलों की व्यथा

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक फूल हमें त्याग बलिदान समर्पण की सीख देते हैं 8173 0 Hindi :: हिंदी

*फूलों की व्यथा*


इस बगिया का एक है माली
अलग अलग है  क्यारी
रंग बिरंगे फूलों से सजी 
ये लगती प्यारी प्यारी।।

मनमोहक फूलों की गंध
से महक रही फुलवारी
एक ही माली करता है
इस बगिया की रखवाली।।

अलग अलग हैं रंग रूप
फिर भी इनमें है यारी
हर फूल मुस्कराता है
जब सींचे बगिया माली।।

बगिया के ये फूल आपस में
बातें करते रहते 
क्या मालूम क्या भाग्य में
किसके आपस में ये कहते।।


जब तक हम बगिया में यारो
हंसी खूशी से जी लें
जीवन के आनंद का अमृत
मिल बांटकर पी लें ।।

तोड़ हमें बगिया का माली
एक दिन ले जायेगा
जिसकी क़िस्मत में जो होगा
वहीं पहुंच जाएगा।।

ईश्वर के चरणों में पहुंचकर
कोईपुण्य लाभ पायेगा
और कोई माला में गुंथकर
उनके हृदय को छू पायेगा।।


कोई पुष्प नव जीवन के 
झूले में सज जायेगा 
कोई फूल वर वधू की
वरमाला में गुथ जायेगा ।।

कोई पुष्प शहीद सैनिक की
देह  पर चढ़ जायेगा
मातृभूमि का फर्ज निभाने
का गौरव पायेगा।।

कोई मृत शरीर पर चढ़कर
आत्म ज्ञान पायेगा
कोई पुष्प शव यात्री के
कदमों से कुचला जायेगा।।



कोई पुष्प भ्रष्टाचारी नेता के
गले में पड़ जायेगा
सूख कर फूलों की माला 
संग कचड़े में मिल जायेगा।

फूल सिखाते हैं हमको
जीवन की दुनियादारी
जाति धर्म का भेद न जानें
सबसे इनकी यारी।।

जितने दिन हम जिये
प्यार से सबका मन बहलाया
फैलाकर अपनी खुशबू से
बगिया का मान बढ़ाया।।

हमें बेचकर माली ने
अपना परिवार चलाया
कर्ज चुकाकर स्वामी का
हमने सुकून है पाया।।

माना कि माली ने हमको
बड़े प्यार से पाला
हमने भी स्वामी भक्ति का
अपना फर्ज निभाया।।

रचयिता ---अखिलेश श्रीवास्तव जबलपुर

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