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पीड़ा उत्साह की

Vikas Yadav 'UTSAH' 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद पीड़ा उत्साह की, विकास यादव, उत्साह, विकास यादव की कविता, स्कूल कविता, वर्षा, पीड़ा, किसान का दर्द, 9976 0 Hindi :: हिंदी

शीर्षक - पीड़ा उत्साह की

न जाने क्यों?
खुशी के वजू,
उत्साह को पीड़ा होती है।
जब ये निशा रोती है,
जब जब वर्षा होती है।

न जाने क्यों?
कह देते लोग,
ये झक्कड बड़ा सुहाना है।
कैसे भूल जाते हो,
किसी का छप्पर में
आसियाना है।

जा कर पूछो दर्द उससे,
जो किसान रात भर रोता है।
महज़ कुछ घंटों की अति से,
पूरी फसल खो देता है।

कह देता हूं आज अंबुद से,
कल कान्हा बनकर आऊंगा।
वो तो तोड़ें मय इन्द्र का,
मैं तेरा रूख मोड जाऊंगा।

माना की लाजमी है, तेरा
मेरे जमीं पर आना।
मगर ये तो खटता नहीं,
किसी के आंखों में आसूं लाना।

      काव्य- विकास यादव 'उत्साह'

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