Kishor Kumar Bhardwaj 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो.. 7513 0 Hindi :: हिंदी
प्रेम की स्वप्निल डगर पर दो तरफ हम एक पथ पर पुलक चलते, समानांतर पर कभी जुड़ने की कोई आस न हो प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो! एक सखी हो , न प्रेयसी हो हर झलक स्पर्श सी हो शून्य स्वप्न, बस अब-अभी हो हो समर्पण पर कभी कोई ख्वाब न हो प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो! झिझकना और हिचकिचाना तंग करना, फिर मनाना खूब लड़ झगड़ के, मुस्कुराना यूँ बीत जाए उम्र पथ, पर बात न हो प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो! अलग यौवन, अलग जीवन हो अलग साथी, अलग प्रियतम सकल दूरी, सकल बंधन भर भीड़ में हम हो मगर, एहसास न हो प्रेम हो, पर मिलन की कोई प्यास न हो!