Santosh kumar koli ' अकेला' 29 Apr 2024 कविताएँ देश-प्रेम राजस्थान की झलक 840 0 Hindi :: हिंदी
मिलती है। मेवाड़ की पाग में, जौहर की आग में। पन्ना के त्याग में, अकबर की लाग में। जयमल पत्ता के रण में, हाडा़ रानी के पण में। मातृभूमि के कण-कण में, गाड़िया लोहारों के घन में। चेतक की छलांग में, पृथ्वीराज की धाक में। केसरिया बालम के राग में, सांगरी के साग में। मिलती है... झूला की झूल में, धोरों की धूल में। वीरों के उसूल में, रोहिड़ा के फूल में। गोडा़वण की हुक में, घूमर की तुक में। चिंकारा की लुक में, वर्षा के बेरुख़ में। गणगोर के गुणा में, मीराबाई के धूणा में। बाजरी व चीणा में, भील व मीणा में। राजस्थान की झलक मिलती है। राजस्थान की झलक मिलती है।