Shubham Kumar 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरा लक्ष्य 23288 0 Hindi :: हिंदी
तुम्हें बेहतर को बेहतर बनाना है_ तुम्हें असफल को सफल बनाना है,, नाकामयाबी, तो जीवन का छवि है,, तुम्हें हार ना मानकर, बस बढ़ते जाना है,, ऊंचाइयां की कुछ खूबियां होती हैं,, वह अपने से ऊपर, की एक टुकड़ा भी नीचे गिर जाता है तो, वह उसे नहीं उठाता,, तुझे खुद ही गिरना है खुद ही संभालना है, तुम्हें हार ना मानकर, बस बढ़ते जाना है,, तुम्हें इंद्रधनुष के समान,, झुकना होता है, जो झुकता है वही प्यास मिटाता है, उसका ही प्यास मिटता है,, इस जगत का नियम अलग है,, जो जितना जलता है, वह उतना ही प्रकाशमान होता है,, 24 ज्ञानेंद्रियां, दिन रात का संकेत होता है, वह दिन-रात कार्य करता है,, तुम सो जाते हो मगर वह चलता है, जीवन के जैसा कोई मशीन नहीं, मशीन तो बंद होते हैं,, लेकिन यह चलता ही रहता है,, बस तुम्हें हार ना मानकर, बढ़ते जाना है,, यह लक्ष्य तुम्हारा है, जो किसी ऊंचाइयों से कम नहीं,, बस अपने हाथों में बंद करके तुम अपना मनोबल,,, तुम्हें चलते जाना है,,, बिना मनोबल के, तुम्हारा लक्ष्य, अधूरा होगा, तुम कभी पूरा नहीं हो सकते,, बस तुम्हें हार ना मानकर, बढ़ते जाना है,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...