Ratan kirtaniya 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य सत् राह बहुत कठिन होता है पर हमें सत् राह मे ही चलना चाहिए , इसलिए हमें अपने जीवन मे गुरु बना लेना चाहिए । 86704 0 Hindi :: हिंदी
लोहा आग में तापकर ; लोहार कि मार - बनाता है मनोहर , इन्सान से होता है ; इन्सानियत बढ़कर , जीवन की बेला ; देख लो सच्चाई की - पथ में चलकर , खुद को पा के अकेला ! भटक ना जाए ! तेरा पथ - थाम ले गुरु कि हाथ ; चल ले दो कदम गुरु के साथ , सोना बन के चमकना ; माटी बनकर - कुम्हार के हाथों में सजकर , खुद को आग में तापाकर ; बेला है तेरे हाथ में - सुधार जाओं सही दिशा में चलकर । चारु कर हिना को ; शिला में घिसकर , जीवन को सँवर लो ! थोड़ा पसीना बहाकर , बनाने वाले जग को - अद्भुत बनाया है ; काटों वाली डाली पे - पुष्प को खिलाया है , पुष्प खुशबू को छुपाकर - फिर महकया है , भटक ना जाए -तेरा पथ ; जगा ले उस शक्ति को - तू ने जो तेरी अन्तर में छिपाया है , गुजर ले जीवन के दो पल - सच्चाई के साथ। नव तैर रहा है ; अत्रु की सागर में , मसल गया सपनों की पुष्प ; मत होना निराशा ; मनस्थ हो अभिलाषा , बेला ने मारा ; कौन देगा सहारा , परछाई भी होता विलुप्त ; सृष्टि जब तिमिर में लिप्त , मत डर निशा में ; चल तू सहीं दिशा में , आने वाला है !कोई पूरब दिशा में । बेला है अनमोल ; तेरा मर्जी ! तेरे कर्म में तोल , तू क्योंं ! किस कारण ऐँठा है ? पल -पल निकल गया ! व्यर्थ में क्यों ! बैठा है ? सुन भाई - तेरा भविष्य ! वर्तमान की गर्भ में बैठा है , चल उठ - इसे है अब गढ़ना ; नहीं तो ! बाद मे पछतावा होगा वरना । ठोकर खा के ही - सम्हाल जाना है , गिरके ही - खड़ा होकर आगे बढ़ना है ; संघर्ष तेरा जीवन है ! हार ना मानना है ; तुझे आगे ही बढ़ना है , संघर्ष से हो कर्म फल अवंछित ; काटोगे अब पुलकित - सोच समझकर फसल तुझे बोना है , फैले तेरा समृद्धि दसों दिशा में , सच्चाई के साथ चल तू सही दिशा में । रतन किर्तनीया मो* 9343698231