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भ्रष्टाचारी नेता-राष्ट्र के नेताओं की गरिमा घटी

Nikhil Kumar 20 Jun 2023 कविताएँ समाजिक #Google #हिन्दी कविता #समाजिक #हिन्दी साहित्य #दुःखद 5314 0 Hindi :: हिंदी

राह भटकी सियासत की, राष्ट्र के नेताओं की गरिमा घटी,
दिशाहीनता के जाल में पड़े, महानताओं की अमर गाथा है यही।

हर दिन भ्रष्टाचार का चिंतन, देशभक्ति का होता है छल,
मिथ्या वादों का संगीत बजाते, वो व्यक्तियों की होते हैं ज्वलंत प्रकाश।

जनता को लुभाते वादों के आगे, अहंकार और मतभ्रम की तूफान होती है,
न्याय और संविधान को भूलकर, स्वार्थ की प्रेरणा सदा मन में समान होती है।

सत्य की तलाश में आम जनता, आँखों की धूल छा जाती है,
मिथ्या बोलते हैं वे सबके सामने, भ्रष्टाचार के झूल में आती है जीवन की राती।

मानवता का तारा बुझा देते, देश के सेवा से हट जाते हैं दूर,
खुद को देशभक्त समझते हैं वे, परिवारों की सुख-दुःख से नहीं करते उनका संबंध पूर।

वचनबद्धता की बजाए मंदिरों का निर्माण, वो करते हैं भ्रष्टाचार की भोग,
आम जनता नहीं होती उनकी प्राथमिकता।

दोस्तो ! कविता अच्छी लगे तो शेयर , फॉलो और कमेंट जरुर करें एक कविता लिखने मे बहुत मेहनत लगती हैं । आपका बहुत आभार होगा ।
                           
 लेखक : निखिल कुमार ✒️📗

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