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एक और काबुलीवाला_

Shubham Kumar 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद एक और काबुलीवाला, 32783 0 Hindi :: हिंदी

  उसका नाम रतन था, लोग उसे काबुलीवाला, इसलिए कहते थे, कि उसके मासूम दिल में, सबके लिए प्रेम था, और उसने एक दिन_ अपनी जाने निछावर कर दी_ यह दर्दनाक_ घटना है_
 वह बहुत ही शांति  स्वभाव का था, वह मेरा परम मित्र था, किसी का भी बच्चा, वह उसे गोद में खिलाता था, प्रत्येक दिन शाम को, वह बच्चों के लिए कुछ ना कुछ, 
लाता रहता था,
 मैं कभी-कभी सवाल करता था,
 क्या तुम्हें बच्चों से परेशानी नहीं होती,

 वह हंसते हुए जवाब देता था,
 नहीं मुझे बच्चों से प्रेम है, क्योंकि मैं भी एक अनाथ हूं, मेरी बचपन, बहुत  ही दुख भरी है, कभी सड़कों पर, दो पैसे के लिए, खड़ा रहता था मुझे भीख,
 मांगना अच्छा नहीं लगता था, लेकिन मुझे कोई काम  भी तो नहीं देता था, फिर मैंने, सड़कों पर से, प्लास्टिक चुनकर, अपना गुजारा करता था _ मैं बच्चों को जब भी खुश देखता हूं तो मैं भी_ खुश हो जाता हूं,
, 
 तुम जानते  हो, जब मैं भीख मांगता था, तो मेरे समान ही, एक लड़की थी, वह भी मेरी    तरह अनाथ  थी,
 उसका भी इस दुनिया में कोई नहीं था, हम लोग कभी सड़कों पर, सो जाते थे,
 जिस दिन  मैं
खाना नहीं खाता, वह मुझे खिलाती थी, मैं मेहनत करके_ उसे पढ़ाने के लिए_ पैसा जुगाड़ करने लगा_
 मैंने उसे, अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा प्यार किया_ वह भी मुझे चाहती थी_( तुम जानते हो) 1 दिन मेरे लिए उसने_ पैसे बचा कर___ अच्छे कपड़े खरीदे थे_ उसे बच्चों से बहुत ही  लगाव था, वह बड़ा होकर, बच्चों को फ्री में, शिक्षा देती थी_
 इतना कहते हुए_ वह रोने लगा था__ मैंने इसकी बातें सुनकर जानना चाहा_ कि फिर उस लड़की को क्या हुआ___ लेकिन उसके बाद_ वह मुझसे कुछ ना कहा_
 जब मैंने इसके_ छानबीन की तो_ मेरे पैरों तले_ जमीन खिसक गए_ उसकी घटना यह है कि_ उसका एक मासूम बेटा था_
 राहुल,  जिसे  वह पढ़ाई, के लिए ज्यादा,
  डांट फटकार, लगाता रहता था, उसकी छोटी मोटी, गलतियों पर भी, उसकी जमकर पिटाई कर देता था, उधर राहुल, हमेशा  सहमा सहमा, रहता था,
 वह अपने पिता से, प्रेम चाहता था, लेकिन उसका पिता  उसे हमेशा, मारपीट फटकार, के सिवा कुछ भी ना करता था, 
वह नियम के बहुत ही सख्त था, 
राहुल का मास्टर भी 
राहुल को गलतियों पर, 

 जमकर पिटाई करता था,

  पढ़ाई राहुल को एक डर, एक गलती, 
सा लगने लगा था, एक दिन वह, अपने बस्ता को, जिसमें किताबें थी, 
 उसके पिता_
 उसे कुछ पैसे, पास में रखने को, दिए थे,
 वह रास्ते से जा रहा था,
 सामने एक नदी पड़ती थी, उसके पुल के ऊपर से, गुजरात ना होता था,
 राहुल  बस्ता को, कभी फेकता,
 कभी कैच करता, तभी उसकी हाथों से, बस्ता छूट जाता है, 
और वह पैसे और किताब, 
नदी में चली जाती है, उसे डर इतना डर लगता है, जैसे उसके पिता आज उसकी, जान ही ले  लेंगे,
 वह डर के मारे, नदी में,  जाकर, 
किताब और पैसे, बचाना चाहता है,
 तभी नदी की धारा में, वह डूबने लगता है,
 जब तक की_ लोग पहुंचते_ उसकी मृत्यु, हो चुकी थी_ उसकी पत्नी ने_ उसको ही दोषी_ ठहराया_ और वह कहां चली गई_ आज तक किसी को नहीं पता_ तब से रतन_ किसी का भी बच्चा हो ,वह उसे बहुत ही प्रेम करता है, बच्चों की गलतियों को, आराम से समझाता है, वह बच्चों के खिलाफ, सख्त नहीं होता, वह हमेशा, प्रयास करता है कि_ किसी भी बच्चे की_ भावनाओं को ठेस ना पहुंचे__ अब वह अकेला है_  वह कुछ बच्चों को, अपने घर में_ परवरिश करता है_
" एक रात की घटना है"
 लोग सब_ भाग दौड़ कर रहे थे_ मैं भी उसी भीड़ की तरफ_ भाग रहा था,
 रतन के घर के पास  _ पहुंचने पर, वहां पर चार लोगों की_ लाश पड़ी हुई है_ जो बहुत ही घायल है, जिन पर चाकू से
, वार किया गया है_
 सामने रतन भी, दम तोड़ने वाला था_
 पास में ही कुछ बच्चे, डरे हुए थे_
 असल में बात यह थी कि_ रतन के घर में, कुछ लोग बच्चों को, चुराने आए थे, और उन्हीं लोगों ने_ रतन के ऊपर हमला भी किया था_ लेकिन रतन ने_ साहस पूर्वक_ उन लोगों का मुकाबला किया_
 सामने कुछ बच्चे,,,, सुरक्षित खड़े थे, 
 लेकिन यह सब मेरे_ दोस्त का कमाल था_
 उसने अपनी, गुनाहों को, इसी भूमि पर,
 साफ कर लिया था_  वह अंतिम सांसे_
 ले तो रहा था_ लेकिन उनकी निगाहें,_ बच्चों पर टिकी हुई थी_,,,, तू नहीं जानता था पगले,,,,, कि तुमने तो,, अपने बच्चों से,,, प्रेम ही किया था,,_, उसे उसकी गलतियों पर, समझाते थे,,
 बस तुमसे गलती इतनी हुई,,,,
 कि तुम  उसे  डर दिखाते थे,,,,
 तुम्हारे डर ने,, उसे ले डूबा,,,, और तुम्हारा प्रेम ने,,, अपने गुनाहों को,,, साफ कर दिया,,,, तुम तो काबुली वाले हो,,,,

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