Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #प्रेम 101506 4 4.5 Hindi :: हिंदी
प्रेम का तन से कैसा नाता ! प्रेम की है ये कैसी भाषा !! प्रेम बिछोह है, प्रेम मिलन है ! प्रेम अगन है, प्रेम लगन है !! प्रेम सुरों की इक धड़कन है ! प्रेम सुरों की इक सरगम है !! प्रेम है पीड़ा, प्रेम जख्म है ! प्रेम के ही ये सारे रंग है !! कहाँ गए वो रंगने वाले ! प्रेम की खातिर मरने वाले !! प्रेम नहीं अब तन के शिकारी ! इनकी तृष्णा बस है नारी !! प्रेम से बस अब छलना आता ! प्रेम की बदली है परिभाषा !! प्रेम का तन से कैसा नाता ! प्रेम की है ये कैसी भाषा !! लिखे लेखनि दे परिभाषा ! प्रेम है मीरा, प्रेम है राधा !! प्रेम में डूबे बंसी वाले ! प्रेम है गोपी, प्रेम है ग्वाले !! प्रेम के फन पे धरा बिराजै ! कालिया फन पे कान्हा नाचे !! माखन चोरी करके खाना ! नदी किनारे वस्त्र चुराना !! प्रेम का ही था वो नजराना ! प्रेम लुटाने आया कान्हा !! कान्हा का रूप अनोखा ! प्रेम देवकी, प्रेम यशोदा !! अश्रु नीर से चरण थे धोए ! पाँव पकड़ कर कान्हा रोए !! दरिद्रता देखो प्रेम से हारी ! कृष्ण सुदामा की वो यारी !! खाकर प्रेम के तीन है दाने ! तीनों लोक लगे लुटाने !! प्रेम की खींची ऐसी रेखा ! प्रेम नहीं वो अबतक देखा !! तन नहीं मन से था नाता ! प्रेम की थी वो ऐसी भाषा !! प्रेम का तन से कैसा नाता ! प्रेम की है ये कैसी भाषा !! विपिन बंसल
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