आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #माफ़ी शायरी #नज़्म #Nazm #हिंदी कविता #poetry #आकाश अगम #Akash Agam #ऐ मेरी दोस्त मुझको माफ़ करना #e meri dost mujhko maaf Karna 38734 0 Hindi :: हिंदी
तुम्हारा दे न पाया साथ खुल कर चला हर बार मैं रस्ता बदल कर मग़र मुझको लगी छोटी सी ठोकर कहा तुमने, "मेरे यारा सम्भल कर" मुझे शर्मिंदगी उठने न देती फलक सा है वज़न औ मैं दवा हूँ मग़र फिर भी मैं तुमसे कह रहा हूँ- ऐ मेरी दोस्त! मुझको माफ़ करना। अहा! कितनी सुहानी थीं सहर वो जब आकर रोज़ मिलते थे सड़क पर वो ट्यूशन तक का रस्ता और बातें कहाँ हो पायगा अब फिर बिछड़ कर जहाँ पर गोलगप्पे खाये हमने कहाँ मिल पायँगे अब रास्ते वो जो आख़िर दिन रुपय लेकर गया था पड़े अब तक तुम्हारे वास्ते वो यही अफ़सोस मैं उस आख़िरी दिन तुम्हारे वास्ते कुछ ले न पाया जो बातें मुझसे सुनना चाहतीं थीं वो मैं तुमको कभी सुनवा न पाया ऐ मेरी दोस्त! मुझको माफ़ करना। गए अब स्कूल के वो दिन सुहाने कहाँ अब साथ में पड़ पायँगे हम फ़क़त दिल में रखेंगे सूरतों को फिर अपने रास्ते पर जायँगे हम न बारिश अब भिगा पाएगी हमको न होगा ये- उतर फँस चैन जाए चढ़ाएँ जब तलक हम चैन रुक कर ये बारिश खिलखिला हमको भिगाये ख़लिश इतनी है दिल में, प्यार की कुछ कभी भी बूँदें तक मैं दे न पाया हवा भागी उड़ा कर बादलों को तुम्हारे थे , मैं उससे ले न पाया ऐ मेरी दोस्त! मुझको माफ़ करना। मैंने हर बार बस ये दी सफ़ाई ज़माने की नहीं है सोच अच्छी हमारे गाँव में तुमको न मालूम नज़र हम पर गढ़ी हर आदमी की मग़र फिर भी निभाया साथ जितना मैं अच्छा ना सही पर याद रखना ये रखना याद कोई यार भी था जो चल कर साथ भी तो चल न पाया ख़तम हर बात कर दी सिर्फ़ कह कर ऐ मेरी दोस्त! मुझको माफ़ करना। सके हो जितना भी इंसाफ़ करना ऐ मेरी दोस्त! मुझको माफ़ करना।