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धर्म और राजनीति

YOGESH kiniya 30 Mar 2023 आलेख समाजिक धर्म और राजनीति 32811 0 Hindi :: हिंदी

इस चराचर जगत के मानव की अतिमहत्वाकांक्षी प्रवृत्ति ने उसे असीम अशांति और अधीरता प्रदान करने का काम किया है। इस अधीरता और अशांति से  क्षण भर के लिए भी मनुष्य की रूह को अगर कोई शान्ति और शुकून दे सकता है ,तो वह है धर्म स्थल या पूजा स्थल ।
पूजा स्थल चाहे किसी भी धर्म के हो, भले  मोमबत्ती जलाने वाले हो या दीपक ; वह हमेशा मनुष्य को  सच्चाई ,ईमानदारी और मानवता का ही पाठ पढ़ाते हैं । 

जिस प्रकार प्रकृति ने प्रत्येक धर्म के मनुष्य को एक  समान हाड मांस और रक्त प्रदान किया है । ठीक उसी प्रकार प्रकृति ने मनुष्य को पूजा स्थल निर्माण के लिए भी बिना किसी भेदभाव के  एक जैसी मिट्टी ,पत्थर और पानी प्रदान किया। 
परंतु फिर भी मनुष्य ने अपने-अपने धर्म के पूजा स्थलों के बाहरी रूप रंग को एक विशेष बनावट देकर उसे अलग ही मजहबी जामा पहनाने का काम किया है। 
यहां तक तो ठीक था । परंतु वर्तमान में राजनीति के ठेकेदारों ने इन पूजा स्थलों को ढाल बनाकर सत्ता प्राप्ति हेतु जो घिनौना खेल खेलना शुरू किया है।  उसको देखकर तो  यह लगने लगा है की इस सृष्टि के रचयिता को भी मानुष जाति से घिन आने लग गई होगी । 
आज पूजा स्थलों  का निर्माण और उसकी ध्वस्ती
केवल सत्ता प्राप्ति का एक जरिया बन चूका है। धर्म स्थलो का इस प्रकार घोर दुरुपयोग;  धिक्कार! है  राजनिति तुझ पर ।
आज इन पूजा स्थलों में प्रज्वलित की गई आग से सांप्रदायिक दंगे करवाए जा रहे हैं। धर्म तो यह शिक्षा नहीं देता; की हम अपने-अपने धर्म के नाम पर आपस में एक दूसरे से लड़े। 
क्योंकि धर्म का काम तो प्यार और मोहब्ब्त बाटने का है -
“मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”

अब समय आ गया है, कि  इन सत्ता लोलूपो को धर्म के नाम पर  घिनौनी राजनीति करने से रोका जाए और  इन सत्ता लोलूपो को करारी  शिकस्त देकर सत्ता से बेदखल किया जाए।

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