Poonam Mishra 17 Mar 2024 आलेख समाजिक कूटनीति पर एक सुंदर आलेख 2126 0 Hindi :: हिंदी
बहुत पुरानी बात है पहले के बड़े बुजुर्ग का करते थे कि अगर हम किसी चीज को कूट-कूट कर खाते हैं तो उससे हमारी इम्यूनिटी पावर बढ़ती है जैसे कि पहले सभी अनाज को घर पर ही कोटा जाता था छत जाता था घर में ही गेहूं को पीसा जाता था तो इससे शुद्धता मिलती थी और हमारी इम्यूनिटी पावर बढ़ती थी इसी पर आधारित एक लेख जो कि इस प्रकार है कूटने से बढ़ती है - इम्युनिटी पॉवर मैंने काफी बुजुर्ग दादा जी से पूछा कि पहले लोग इतने बीमार नही होते थे ?जितने आज हो रहे हैं .... तो दादा जी बोले "बेटा पहले हम हर चीज को कूटते थे , जबसे हमने कूटना छोड़ा है, तबसे ही हम सब बीमार होने लग गए है" मैंने पूछा :- वो कैसे ? दादा जी मुस्कुराते हुए "जैसे पहले खेत से अनाज को कूट कर घर लाते थे ... घर में मिर्च मसाला कूटते थे ....... कभी कभी बड़ा भाई छोटे भाई को कूट देता था ....... और जब छोटा भाई उसकी शिकायत माँ से करता था .....तो माँ.. बड़े भाई को कूट देती थी ...... और कभी कभी तो दादा जी भी पोते को कूट देते थे ...... यानी कुल मिलाकर कूटने का सिलसिला निरंतर चलता रहता था ...... कभी माँ.. बाजरा कूट कर शाम को खिचड़ी बनाती थी ..... पहले हम कपडे भी कूट कूट कर धोते थे ..... स्कूल में मास्टर जी भी जमकर कूटते थे .... जहाँ देखो वहां पर कूटने का काम चलता रहता था ..... जिससे कभी कोई बीमारी नजदीक नहीं आती थी ..... सबका इम्युनिटी पॉवर मजबूत बना रहता था ... जब कभी बच्चा सर्दी में नहाने से मना करता था ..... तो माँ पहले उसे कूटकर उसकी इम्युनिटी पॉवर बढ़ाती थी और फिर नहलाती थी ...जब कभी बच्चा खाना खाने से मना करता था ..... तब भी माँ पहले कूटती थी, फिर खाना खिलाती थी ..... स्कूल से शिकायत आती तो पिताजी कूट देते थे स्कूल जाने में आना कानी की तो मां कूट देती थी ऐसे ही सबका इम्युनिटी पॉवर कायम रहता था ..... तो कुल मिलाकर सब कुटाई की महिमा है जो आज कल बंद हो गयी है जिससे हम सब बीमार ज्यादा रहने लग गए है ! इसी को कहते हैं "कूट नीति"