Dr Priyanka Saurabh 06 May 2023 आलेख देश-प्रेम 13675 0 Hindi :: हिंदी
(7 मई, विश्व एथलेटिक्स दिवस विशेष) *खेलों का डर्टी दंगल या फिर नियमों का उल्लंघन* समय-समय पर खेल जगत से ऐसे आरोप क्यों लगते रहते हैं। क्यों महिला खिलाड़ी यौन शोषण का शिकार होकर भी चुप रहती है कि कहीं उनका कैरियर खत्म न कर दिया जाये। भविष्य में ऐसा न हो और देश की बेटियां सुरक्षित महसूस करते हुए खेल में कैरियर बनाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न फेडरेशनों के अंदर कारगर तंत्र बनाने पर भी गंभीरता से विचार होना चाहिए। - *डॉ. प्रियंका सौरभ* किसकी सरकार है या किसकी थी, ये मुद्दा नहीं है। सवाल ये है कि महिला प्लेयर के साथ हर फेडरेशन क्रिकेट से लेकर कुश्ती तक, यौन शोषण होता है या नहीं। मुद्दा महिला खिलाड़ियों की सम्मान एवं मानसिक, शारीरिक सुरक्षा का है। साथ ही फेडरेशन को खिलाड़ियों के लिए एक सुरक्षित जगह बनाने का है।अगर बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हुई तो महिला खिलाड़ियों में खेल के प्रति रुझान खत्म हो जायेगा। उनका मनोबल गिर जायेगा। महिलाओं की खेलों में भागीदारी कम हो जायेगी। देश की प्रतिष्ठा और महिला खिलाड़ियों की अस्मिता का सवाल है। क्यों राजनीति में दम तोड जाती है प्रतिभाएं, खेलों में राजनीति के सक्रिय होने से प्रतिभावान खिलाड़ियों को दबाया जाता है, खिलाड़ी हमेशा खेल अधिकारियों के दवाब में रहते है। खेलों में मेहनत करने वालों की प्रतिभाएं दबकर रह जाती हैं आवाज़ उठाने पर ख़त्म कर दिया जाता है। सर्वोच्च खेलों में पदक विजताओं द्वारा बोर्ड पर ऐसे आरोप और धरने के बाद जांच से बोर्ड और सरकार दोनों का चरित्र स्पष्ट हो रहा है। जो बोर्ड है वहीं सरकार है इसलिए सरकार क्या बोर्ड अध्यक्ष को हटा पाई? क्या निष्पक्ष जांच हुई? डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष एक सांसद है और भारत के लगभग सभी खेल बोर्डों के अध्यक्ष राजनीतिक व्यक्ति है इसलिए खेलों में विशेष प्रगति और विकास के लिए अध्यक्ष का पूर्व खिलाडी होने की मांग भी जोर पकड़ रही है। वैसे भी ऐसे संघों-संस्थाओं पर राजनेता नहीं, खेल प्रतिभाओं को विराजमान करना चाहिए। इन संस्थाओं में पदाधिकारियों का कार्यकाल भी निश्चित होना चाहिए एवं एक टर्म से ज्यादा किसी को भी पद-भार नहीं दिया जाना चाहिए। भारत के लिये कुश्ती ही एक ऐसा खेल है, जो चाहे ओलंपिक हो या राष्ट्रमंडल खेल, सबसे अधिक पदक ले आता है। खिलाड़ियों की फंडेशन नेताओं की नहीं खिलाड़ियों की ही बननी चाहिए। इसमें सीनियर खिलाड़ी होने चाहिए ना कि नेता यह हमारे देश के वह खिलाड़ी है जिन्होंने हमारे भारत देश का नाम चमकाया है। गोल्ड मेडल लेकर आए हैं। इस खेल ने दुनिया में भारतीय खेलों का परचम फहराया है, भारत के खेलों को एक जीवंतता एवं उसकी अस्मिता को एक ऊंचाई दी है। इसके खिलाड़ी अपने जुनून के बल पर विजयी होते रहे हैं। इस तरह दुनिया भर में भारतीय पहलवानों ने देश का खेल ध्वज एवं गौरव को ऊंचा किया है तो ऐसे में अगर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और प्रशिक्षकों पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप लग रहा है, तो इससे दुनिया भर में भारत की बदनामी हो रही है। यह एक बदनुमा दाग है, एक बड़ी त्रासद स्थिति है। शर्म का विषय है। धरने पर बैठे यही खिलाड़ी जब पदक जीतकर आते है तब खुद राजनीतिज्ञ इन्हे बुलाकर सबके माइक सेट कर करके मीडिया प्रोपगेंडे के लिए सबकी बड़ी सराहना करते है लेकिन जब ये खिलाड़ी खुद के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ धरने पर बैठते है। उस समय बड़ी तत्परता दिखाने वाले राजनीतिज्ञों को सांप सूंघ जाता है ऐसा क्यों? यही देश के युवाओं के लिए सही कार्य होता। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि सरकार की बंदिशों के बावजूद अधिकांश खेल संघों पर राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों का ही कब्जा है। इनमें बड़ा भ्रष्टाचार व्याप्त है, जो वास्तविक खेल प्रतिभाओं को आगे नहीं आने देती। इन पदाधिकारियों की चिंता खेलों के विकास से अधिक अपने विकास की रहती है। इनका अधिकांश समय भी कुर्सी पर बैठे राजनेताओं को खुश करने एवं खेल संघों की राजनीतिक जोड़-तोड़ में ही व्यतीत होता है। खिलाड़ियों से अधिक तो ये पदाधिकारी सुविधाओं का भोग करते हैं, विदेश की यात्राएं करते हैं। पीड़ित खिलाडियों को भी धरने से पहले ही पक्के सबूत देश और देश के न्यायालय के सामने रखने चाहिए थे।अभी भी समय रहते जो भी है आरोप बेहद गंभीर है, निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और आरोप सिद्ध होता है तो कड़ी सजा मिलनी चाहिए, देश के सभी बोर्डों की कार्यकारिणी भंग कर ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए कि खेल बोर्डों में अराजनीतिक और खेल बैकग्राउंड लोग ही चुने जाए। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात है कि अगर देश का गर्व एवं गौरव बढ़ाने वाली महिला पहलवानों को अगर अपने सम्मान की रक्षा के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है, तो हमारे खेल संघों की कार्यप्रणाली भी कटघरे में आ जाती है। जहां देश के खिलाड़ियों के मन में अपने संघों-खेल संस्थाओं के लिये गर्व एवं सम्मान का भाव होना चाहिए, जबकि उनमें तिरस्कार एवं विद्रोह का भाव है तो यह लज्जा की बात है। साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि समय-समय पर खेल जगत से ऐसे आरोप क्यों लगते रहते हैं। क्यों महिला खिलाड़ी यौन शोषण का शिकार होकर भी चुप रहती है कि कहीं उनका कैरियर खत्म न कर दिया जाये। भविष्य में ऐसा न हो और देश की बेटियां सुरक्षित महसूस करते हुए खेल में कैरियर बनाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न फेडरेशनों के अंदर कारगर तंत्र बनाने पर भी गंभीरता से विचार होना चाहिए। साथ ही दुनिया के कई देशों के नियमों का अध्ययन करने के बाद ओलंपिक के बाद ट्रायल का नियम बना है, उसका सम्मान होना चाहिए। किसी को ओलंपिक या ऐसी बड़ी प्रतियोगिता में जाना है तो उसे देश के अन्य खिलाड़ियों के साथ ट्रायल देना होगा। जो खिलाड़ी ओलंपिक का कोटा हासिल कर चुका है, उसका मुकाबला देश में ट्रायल जीतने वाले के साथ होगा। फिर वहां से ओलंपिक के लिए पहलवान का चयन होगा। अगर ओलंपिक कोटा हासिल करने वाला हार जाता है तो उसे फिर एक मौका दिया जाएगा। अगर पहलवान इस नियम के विरुद्ध होकर ये सब ड्रामा कर रहे है तो सच सभी के सामने आना चाहिए और खेल नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए चाहे वो कितना ही बड़ा खिलाड़ी हो। भारत में खेलों एवं खिलाड़ियों की उपेक्षा का लम्बा इतिहास है। खेल संघों की कार्यशैली, चयन में पक्षपात और खिलाड़ियों को समुचित सुविधाएं नहीं मिलने के आरोप तो पहले भी लगते रहे हैं, लेकिन ताजा मामला ऐसा है जिसने कुश्ती महासंघ ही नहीं, बल्कि तमाम खेल संघों की विश्वसनीयता एवं पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लड़कियों एवं देश के युवा खिलाड़ियों के साथ गलत व्यवहार करने वाले सांसद को तत्काल उनके पद से हटाकर निष्पक्ष जांच एवं कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए थी जो नही हुई। जिससे देश के युवा खिलाड़ियों का आत्मविश्वास एवं मनोबल देश के ऊपर बना रहता और विश्व पटल पर भारत का नाम रोशन होता। -- -प्रियंका सौरभ रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045 (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) facebook - https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/ twitter- https://twitter.com/pari_saurabh ----------------------------------------------------------- -ਪ੍ਰਿਅੰਕਾ ਸੌਰਭ ਰਾਜਨੀਤੀ ਵਿਗਿਆਨ ਵਿੱਚ ਖੋਜ ਵਿਦਵਾਨ, ਕਵਿਤਰੀ, ਸੁਤੰਤਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਅਤੇ ਕਾਲਮਨਵੀਸ, ਉਬਾ ਭਵਨ, ਆਰੀਆਨਗਰ, ਹਿਸਾਰ (ਹਰਿਆਣਾ)-127045 (ਮੋ.) 7015375570 (ਟਾਕ+ਵਟਸ ਐਪ) ਫੇਸਬੁੱਕ - https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/ twitter- https://twitter.com/pari_saurabh Priyanka Saurabh Research Scholar in Political Science Poetess, Independent journalist and columnist, AryaNagar, Hisar (Haryana)-125003 Contact- 7015375570 Bank Account Information 81100100104842, PRIYANKA IFSC CODE- PUNB0HGB001 नोट- आपको प्रकाशनार्थ भेजी गई मेरी रचना/आलेख/ कविता/कहानी/लेख नितांत मौलिक और अप्रकाशित है।