Poonam devi 30 Mar 2023 आलेख दुःखद 59414 0 Hindi :: हिंदी
लो फिर उठा दी मैंने कलम लो फिर उठा ली मैंने कलम। जैसे घर के होते काम अनेक नहीं मन करता कि उठाऊं मैं कलम। लेकिन हो रहा जब जुर्म अफगानिस्तान पर आतंक का ।देखती रह गई पूरी दुनिया आतंकियों के आतंक को नहीं उठ पा रहे मदद के कोई हाथ। क्यों नहीं दे पा रहा कोई इंसानियत का साथ। क्यों सोच रही दुनिया पहल करे कोई और ।क्यों उठ नहीं पा रहा मदद का कोई हाथ ।कैसे बुजदिल हो सकती इंसानियत आखिर। कैसे दे सकते वह आतंक का साथ ।क्यों मर गई इंसानियत या मारी गई इंसानियत। क्यों आतंक पर कोई नहीं लगाता लगाम है। अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक इंसानियत की हार है । ना कि चल रहा कोई टीवी शो जो देख रही पूरी दुनिया इसको ऑनलाइन है। क्यों मदद नहीं कर पाते इंसान इंसानियत की इंसानियत के नाते लो उठा ली मैंने आज फिर से कलम है ।जाग जाओ अब इंसानियत के रखवाले दांव पर लग गई है ।आज इंसानियत मत बनने दो आतंकवाद ना होने दो अत्याचार जाग जाओ अब इंसानियत के रखवाले। लो ।लीर से आज कलम है