Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

नारी सभ्यता की रक्षा

YOGESH kiniya 30 Mar 2023 आलेख समाजिक नारी सभ्यता की रक्षा 16166 0 Hindi :: हिंदी

नारी शक्ति है, सम्मान है
            नारी गौरव है, अभिमान है
            नारी ने ही ये रचा विधान है
              हमारा शत-शत प्रणाम है।

भारतवर्ष में नारी हमेशा पूजनीय रही है।नारी केवल ईश्वर प्रदत्त प्राणी मात्र नहीं है अपितु एक सभ्यता है । इतिहास गवाह है जिस युग ने इस सभ्यता की कद्र की, वह युग इतिहास में अमर होकर आदर्शमयी बन गया और जिस युग ने इस सभ्यता का तिरस्कार किया वह युग कालांतर में इतिहास की स्मृति से विस्मृत हो गया। 
इस देश की नारी सभ्यता को वैश्विक पटल पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करने वाली विभूतियों में रानी लक्ष्मीबाई ,दुर्गाबाई देशमुख, कैप्टन लक्ष्मी सहगल ,सरोजिनी नायडू, कादंबिनी गांगुली, भीखाजी कामा, सुचेता कृपलानी, रानी अहिल्याबाई होल्कर, सावित्रीबाई फुले, का नाम बड़ा अदब से लिया जाता है।
यह नारी शक्तियां अपने युग में प्रकट हुई और अपने युग की तात्कालिक विभिन्न परिस्थितियों के सामने कभी काली तो कभी दुर्गा का रूप धारण करके खड़ी हो गई। और उन परिस्थितियों को बौना साबित करते हुए यह सिद्ध कर दिखाया कि नारी, नर से किंचित भी कम नहीं । इनकी शौर्य गाथाओं ने प्रमाणित कर दिया कि अगर नारी शक्ति के मन में कोई बात ठन जाए तो वह तीनो लोको के स्वामी को भी नतमस्तक कर सकती है।
नारी सभ्यता की इन विभूतियों ने स्वर्णिम इतिहास प्रदान करते हुए हर युग की नारी के कंधों पर एक बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सौंपा है , कि समय आने पर वह अपने देश की और अपनी आबरू की रक्षा करें।
आज की नारी शक्ति के मजबूत कंधों पर भी कई   उत्तरदायित्व आन पड़े हैं। 
सबसे बड़ा उत्तरदायित्व है - नारी शक्ति को इस देश के आर्थिक ,सामाजिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास में अपना चहुमुखी योगदान देते हुए पुरुष प्रधान समाज की अवधारणा को नारी प्रधान समाज की अवधारणा में  बदलना।
दूसरा और महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है आत्मरक्षा।
जो की मेरे लेख का  प्रतिपाद्य है। 
साहित्य समाज का दर्पण होता है। शायद मुझे आवश्यकता नहीं है कि मैं आज की नारी सभ्यता को उनके उत्तरदायित्व की गणना कराऊं। क्योंकि प्रतिदिन के अखबारों में  नारी सभ्यता पर होने वाले आघात यथा बलात्कार, दहेज प्रताड़ना और हत्या, जैसे घिनौने कृतियों कि दुखदाई खबरे अपने आप में बहुत कुछ बयां करती है।  क्या इन कृत्यों  को पढ़कर सुनकर या देखकर नारी शक्ति का खून नहीं खोलना चाहिए ? क्या नारी सभ्यता को  इन घिनौने कृत्यों  के खिलाफ सड़कों पर उतरकर सत्ता के गलियारों में सुकून की हवा खा रहे पदस्थ हुकूमरानो की नींद हराम करते हुए उन्हें मजबूर नहीं करना चाहिए , कि वह इन  घिनौने कृत्यों के लिए अलग से न्यायालय स्थापित करे और तीस दिन के भीतर आरोपी दानव को परलोक का गामी बनाए। 
प्रतिदिन के अखबारों में इस प्रकार की घटनाएं पढ़ने से लगता है कि अब जरूरी हो गया है मातृशक्ति खुद अपनी रक्षा के लिए काली का रूप धारण करें। 

       नारी निंदा ना करो नारी रतन की खान
        नारी से नर होत है ध्रुव प्रह्लाद समान ।

नारी सभ्यता की रक्षा का जितना उत्तरदायित्व खुद नारी शक्ति का है उससे कहीं गुना अधिक उत्तरदायित्व उसकी कोख से पैदा होने वाले ध्रुव  और प्रहलाद का भी है। ध्रुव और प्रहलाद को प्रकट करने वाली नारी सभ्यता ही अगर नहीं रहेगी तो कैसे इस देश का नाम सृष्टि पटल पर देदीप्यमान रहेगा।
नारी सभ्यता को दूषित और मैला करने वाले दानवों के खिलाफ एक ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन खड़ा हो ,की वोट मांगने के लिए अपनी झोली फैलाने वाले हुकुमरानो का पहला वादा नारी सभ्यता की रक्षा का हो।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

किसी भी व्यक्ति को जिंदगी में खुशहाल रहना है तो अपनी नजरिया , विचार व्यव्हार को बदलना जरुरी है ! जैसे -धर्य , नजरिया ,सहनशीलता ,ईमानदारी read more >>
Join Us: