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नरेंद्र भाकुनी

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रँग इतलाती - बलखाती नदियाँ, सागर से मिलने मैं जाऊँ। सागर कहता 'हूँ गंभीर मैं, रँगों मे खो जाऊँ। । रँग जो कहते हैं सूरज से ,अपनी रश्मि क read more >>
क्या कभी आपने ये सोचा कि असली में इस द्वाराहाट ने श्री कृष्ण की द्वारिका बननी थी, लेकिन बनते - बनते रह गया ऐसा क्या होगा इस द्वाराहाट मे read more >>
मेरी मांग विधाता से हे विधाता आज तुझसे खिल चुकी मेरी भावना। आज तुझसे कह रहा हूं मांगा मैंने कामना। मुझको ये वरदान दे दो सादगी का मान read more >>
अपनी यादें.....। आज देखलो दुनियां में कितने वक्त के पहरें है। उन लम्हों से बनी कहानी कुछ उथले कुछ गहरे है। अपनी सीमा से जुड़ा हूं read more >>
अपने शहीद आगाज़ देखलो कितना है पानी का पनघट हम बन जायेंगे। युवा प्रेमी की ज्वाला हूं आशिकों का जमघट हम बन जाएंगे। अपने दिलों में भी read more >>
मुझे याद तुम्हारे बोल ये बोल बड़े अनमोल। तुम पावनी नदी की जलधारा तुम हो अमृत की घोल। मैं याद करूं जो तुम्हारे क्षण क्षण संरचना के खा read more >>
""एक कहानी ,आज कहानी उस राजा की सुंदर रानी। इसको कहते नकटी रानी यह इतिहास पुरानी। आज सुनाऊं ये गाथा है उस वीरांगना की कहानी। गढ़वाल की read more >>
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